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Christmas 2021: मरियम को देवदूतों ने आकर दिया था संदेश…. तुम्हारे घर जन्म लेगा मसीहा….जानें कितना पुराना है क्रिसमस का इतिहास

Christmas Day 2021: क्रिसमस मनाने को लेकर कई मान्यताएं मशहूर हैं. एक मान्यता के अनुसार लोगों ने इस दिन को क्रिसमस के लिए चुना था क्योंकि इस दिन रोम के गैर ईसाई सूर्य का जन्मदिन मनाते थे और ईसाइयों की इच्छा थी कि ईसा मसीह के जन्मदिन को भी इसी दिन मनाया जाना चाहिए.

ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था. ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था.
हाइलाइट्स
  • क्रिसमस का इतिहास 

  • प्रचलित है कई मान्यताएं 

  • क्रिसमस ट्री पर मिसलटो लटकाने की परंपरा

  • धर्मनिरपेक्षता का है प्रतीक

ईसा मसीह के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाने वाला क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे खास त्यौहार है. अधिकतर जगहों पर इसे बड़ा दिन भी कहा जाता है. दुनिया के अधिकांश देशों में हर साल 25 दिसंबर को यह त्यौहार मनाया जाता है. क्रिसमस शब्द की उत्पत्ति क्राइस्ट मास शब्द से हुई थी. ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था. क्रिसमस को लेकर ऐसी कई और भी मान्यताएं हैं. आइए जानते हैं क्रिसमस से जुड़े कई महत्वपूर्ण बातों के बारे में.

क्रिसमस का इतिहास 

अगर बाइबिल के तथ्यों को मानें तो ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह को माता मरियम ने जन्म दिया था. बाइबिल के अनुसार ईसा मसीह यानी यीशु के जन्म से पहले माता मरियम कुंवारी थी और उनकी सगाई दाऊद के राजवंशी यूसुफ़ से हो चुकी थी. एक दिन स्वर्गदूत मरियम के पास आए और मरियम को बताया कि मरियम जल्द ही मां बनने वाली हैं. उन्होंने मरियम को बच्चे का नाम जीसस रखने को कहा. उन दूतों ने आगे बताया कि जीसस आगे जाकर राजा बनेगा जो इस संसार को दुखों से मुक्त करेगा. कुछ समय बाद मरियम और यूसुफ की शादी हो गई और वो  दोनों यहूदिया के बेथलेहेम में रहने लगे. वहीं, एक अस्तबल में आधी रात को ईसा मसीह का जन्म हुआ. इसी दिन को तब से क्रिसमस के तौर पर मनाया जाने लगा.

प्रचलित है कई मान्यताएं 

हालांकि क्रिसमस मनाने को लेकर कई मान्यताएं मशहूर हैं. एक मान्यता के अनुसार लोगों ने इस दिन को क्रिसमस के लिए चुना था क्योंकि इस दिन रोम के गैर ईसाई सूर्य का जन्मदिन मनाते थे और ईसाइयों की इच्छा थी कि ईसा मसीह के जन्मदिन को भी इसी दिन मनाया जाना चाहिए. कहा जाता है कि सर्दियों के मौसम में जब सूरज की गर्मी कम हो जाती है तो गैर ईसाई सूरज के  लम्बी यात्रा से लौटने की प्रार्थना करते थे. वे ये मानते थे कि इस दिन से सूरज वापस लौटना शुरू कर देता है. 

क्रिसमस ट्री पर मिसलटो लटकाने की परंपरा 

क्रिसमस की तैयारियां  कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती हैं. चर्च में प्रार्थनाएं की जाती हैं और  कैरॉल्स गाए जाते हैं. घरों और चर्च में क्रिसमस-ट्री को सजाया जाता है. दान करना, उपहारों का आदान-प्रदान करना और प्यार और खुशी फैलाना क्रिसमस का उद्देश्य है. इसका सबसे  मजेदार पार्ट परिवार के साथ समय बिताना और क्रिसमस ट्री को रंगीन गेंदों, सितारों और उपहारों से सजाना है. मिसलटो औषधीय गुणों वाली एक जड़ी बूटी है. क्रिसमस ट्री पर मिसलटो को लटकाने की परंपरा है और ऐसा माना जाता है कि इससे घर में शांति और प्रेम बढ़ता है.

धर्मनिरपेक्षता का है प्रतीक 

आज क्रिसमस एक धार्मिक त्यौहार के साथ-साथ सामाजिक पर्व बन गया है. कई गैर ईसाई लोग भी इसे बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं. यह आज धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है. इस अवसर पर सभी बाजारों में  मिठाई, चॉकलेट, ग्रीटिंग कार्ड, क्रिसमस ट्रीज़ की रौनक होती है. इस दिन पर सभी सभी सरकारी (स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थान, प्रशिक्षण केन्द्र आदि) तथा गैर-सरकारी संस्थान बंद रहते हैं. कुछ कैथोलिक देशों में इसके अगले दिन यानी 26 दिसंबर को सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस के रूप में मनाया जाता है.