टाटा संस के पूर्व चेयरमैन और शापूरजी पालोनजी (Shapoorji Pallonji Group) एंड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सायरस मिस्त्री का रविवार को एक कार एक्सीडेंट में निधन हो गया. जानकारी के मुताबिक सायरस मिस्त्री जिस मर्सिडीज कार में सवार थे उसकी स्पीड बहुत ज्यादा थी. इस कार ने पालघर जिले के चरोटी चेक पोस्ट से सिर्फ 9 मिनट में 20 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी. जांच में पता चला कि जिन दो लोगों की हादसे में मौत हुई है, उन्होंने सीट बेल्ट नहीं पहना था. साइरस मिस्त्री और जहांगीर पंडोले पिछली सीट पर बैठे थे और दोनों ने ही सीट बेल्ट नहीं पहना था.
सायरस मिस्त्री का जिस समय एक्सीडेंट हुआ उस समय वे चार लोगों के साथ उदवाड़ा के फायर टेंपल से मुंबई लौट रहे थे. सायरस मिस्त्री इस टेंपल की देखरेख का सारा खर्च उठाते थे. हाल ही में सायरस मिस्त्री ने इस टेंपल का रेनोवेशन करवाया था.
क्यों खास है ईरानशाह फायर टेंपल
सूरत से 120 किलोमीटर दूर अरब महासागर के तट पर बसता है उदवाड़ा. ये छोटा शहर विश्व भर के पारसियों के लिए पवित्र स्थान है. ईरानशाह फायर टेंपल पारसियों का सबसे बड़ा मंदिर है. यह पवित्र ज्योति का मुख्य केंद्र है. पारसी धर्म के लोग अग्नि पूजक है. फारसी में आतिश का अर्थ अग्नि होता है. दुनियाभर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं. आतिश बहराम की यह ज्योति कोई मामूली ज्योति नहीं है. यह ज्योति इरान से यहां लाई गई थी. पारसियों ने सुरक्षा के लिहाज से यह पवित्र अग्नि संजन, बरहोट गुफाओं, वंसदा जंगल, नवसारी, सूरत और बरसाड़ में स्थापित की.
देश का सबसे समृद्ध समुदाय है पारसी
यह पवित्र अग्नि 1290 साल से निरंतर जल रही है जिसे ‘ईरानशाह’ भी कहते हैं. अपने वंश रक्षा के लिए पारसी जब ईरान से भागकर 720 ईस्वी में गुजरात के दीव तट पर उतरे तब गुजराती संजन के हिंदु राणा जादी राणा ने उन्हें शरण दी थी. 1742 से यह उदवाड़ा के ईरानशाह आतश बहराम में कायम है. पारसी आज देश की सबसे समृद्ध ही नहीं, सबसे शांतिप्रिय और उद्यमशील समुदाय है. भारत में मुख्य तौर से मुंबई में पारसी रहते हैं. पारसी पहले फारस की खाड़ी के होर्मूज़ (Hormuz) में बसे थे. लेकिन अपने उपर बढ़ते आक्रमण देख वो 8वीं शताब्दी में भारत पहुंचे.