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Delhi Kedarnath Temple Controversy: उत्तराखंड कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला! चार धाम और बड़े धार्मिक स्थलों के नाम पर नहीं बनेगा कोई ट्रस्ट और मंदिर

ये चारधाम में आस्था रखने वाले भक्तों के लिए एक अच्छी खबर साबित हो सकती है. धामी कैबिनेट ने फैसला लिया कि चारधाम और उत्तराखंड के अन्य मंदिरों की अखंडता को बरकरार रखने के लिए एक कानून बनेगा.

Char Dham Yatra (Photo: PTI) Char Dham Yatra (Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • नियम बनाने की मंजूरी दे दी है 

  • 22 प्रस्तावों को पारित किया

उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है. चार धाम और बड़े धार्मिक स्थलों के नाम पर कोई ट्रस्ट और मंदिर नहीं बनेगा. कैबिनेट ने राज्य में कॉलेज ऑफ हिन्दू स्टडीज खोलने की भी स्वीकृति प्रदान की है, जिसमें हिन्दू धर्म, संस्कृति और इतिहास से जुड़े विषयों पर शोध और पढ़ाई की जाएगी. 

साथ ही सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा शुल्क में भी कटौती की है. जिसमें रजिस्ट्रेशन, ओपीडी, भर्ती शुल्क और एम्बुलेंस शुल्क शामिल नहीं होगा. 

22 प्रस्तावों को पारित किया
बता दें, कैबिनेट बैठक में मंत्रिमंडल ने 22 प्रस्तावों को पारित किया है. कैबिनेट के अन्य प्रस्तावों के साथ बड़ा फैसला चारधाम से जुड़ा लिया गया है. ये चारधाम में आस्था रखने वाले भक्तों के लिए एक अच्छी खबर साबित हो सकती है. धामी कैबिनेट ने फैसला लिया कि चारधाम और उत्तराखंड के अन्य मंदिरों की अखंडता को बरकरार रखने के लिए एक कानून बनेगा. इसमें कहीं भी कोई भी चार धाम और बड़े धार्मिक स्थलों के नाम से ट्रस्ट और मंदिर नहीं बना सकेगा.  

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नियम बनाने की मंजूरी दे दी है 
इस कानून को लेकर कैबिनेट ने नियम बनाने के लिए शासन को भी मंजूरी दे दी है. कैबिनेट में प्रस्ताव पारित हुआ कि हाल के समय में संज्ञान में आ रहा है कि व्यक्ति/संस्थाओं द्वारा उत्तराखंड राज्य में स्थित चार धाम श्री केदारनाथ धाम, श्री बद्रीनाथ धाम, श्री गंगोत्री धाम, श्री यमुनोत्री धाम व अन्य प्रमुख मंदिरों के नाम का अथवा इनके संचालन हेतु गठित ट्रस्ट/समिति के नाम से मिलते-जुलते नाम का प्रयोग कर ट्रस्ट/समिति आदि बनाई जा रही है. इस प्रकार की गतिविधियों से जन सामान्य में असमंजस की स्थिति पैदा होने के साथ ही स्थानीय परम्पराओं एवं धार्मिक मान्यताओं को भी ठेस पहुंचती है. साथ ही स्थानीय स्तर पर आक्रोश की भी संभावना रहती है. इसके दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा कड़े विधिक प्रावधान लागू किए जाने का निर्णय लिया गया है.

इस प्रस्ताव के मायने क्या है? 
दरहसल, अभी हाल में दिल्ली के बुराड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी केदारनाथ धाम ट्रस्ट के नाम से केदारनाथ धाम दिल्ली के शिलान्यास में शामिल हुए थे. जिसके बाद राजनीति ने तूल पकड़ लिया. यहां तक कि ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य जगद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद ने भी कह दिया कि आप क्या वहां एक और केदारनाथ धाम बना देंगे? सरकार की बढ़ती आलोचना को देखते हुए, केदारनाथ धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला को सामने आना पड़ा. उन्होंने सफाई दी कि हम ट्रस्ट का नाम भी बदल देंगे और मंदिर का नाम भी. 

उन्होंने कहा हमने कभी केदारनाथ धाम से तुलना करने की कोशिश नहीं की न कभी कोई कर सकता है. जैसे और जगह प्रसिद्ध मंदिरों की तरह दूसरी मंदिर बनाए जाते हैं वैसे ही हम केदारनाथ मंदिर बना रहे हैं. इससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है. 

कई दूसरे फैसले भी लिए गए 
कैबिनेट की बैठक से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट मंत्रियों ने कठुआ में शहीद हुए उत्तराखंड के 5 जवानों को श्रद्धांजलि दी और 2 मिनट का मौन रखा गया.

एक फैसला प्रदेश में कॉलेज ऑफ हिन्दू स्टडीज खोलने का भी लिया गया. इस संस्थान में हिन्दू संस्कृति, इतिहास, धर्म पर पढ़ाई होगी. इसके साथ कृषि विभाग में कृषकों को दिए जाने वाले 5 लाख के ऋण पर अब कोई स्टाम्प शुल्क नहीं लगेगा. 

(अंकित शर्मा की रिपोर्ट)
 

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