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Diwali 2022: दुर्भाग्य से बचने के लिए दीपावली पूजा के समय इस तरह रखें मां लक्ष्मी की मूर्ति...पूजा होगी संपन्न

लक्ष्मी जी की मूर्ति को हमेशा गणेश जी के दाहिने रखना चाहिए. इसके अलावा पूजा में कमल का फूल, सोने या चांदी के सिक्के आदि को भी रखना शुभ माना जाता है.

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हाइलाइट्स
  • लक्ष्मी जी के दायीं तरफ होने चाहिए गणेश

  • दुर्भाग्य से बचाएंगे गणेश

दीपावली नजदीक आते ही मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां जोरो-शोरों से शुरू हो जाती है. घरों को साफ किया जाता है और मोमबत्तियों, दीयों और जगमगाती रोशनी से सजाया जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, रोशनी के इस त्योहार में लक्ष्मी पूजन किया जाता है. देवी लक्ष्मी को सफलता, भाग्य और अनुग्रह के अवतार के रूप में पूजा जाता है. इस दिन स्वादिष्ट पकवान तैयार किए जाते हैं. घर पर लक्ष्मी पूजा करने के लिए और त्योहार पर प्रकाश, भाग्य और उन्नति का स्वागत कैसे किया जाए. माता की मूर्ति को लेकर किस तरह की सावधानिया रखीं जाए, ये आज हम आपको बताएंगे.

पूजा के समय कहां रखे किधर रखें लक्ष्मी की मूर्ति
गणेश जी हमेशा लक्ष्मी जी के दायीं तरफ होने चाहिए और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. उनके सामने चावलों पर कलश की स्‍थापना करें. वरुण के प्रतीक इस कलश पर एक नार‍ियल लाल वस्‍त्र में लपेटकर इस प्रकार रखें क‍ि केवल अग्रभाग ही द‍िखाई दे. एक कमल के फूल को एक थाली में हल्दी के साथ रखा जाना चाहिए और देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियों के सामने रख दें. उसी थाली में सिक्के भी रखने चाहिए. कोई धन- या व्यवसाय से संबंधित वस्तुएं भी वहां रखी जा सकती हैं.

कैसी हो लक्ष्मी की मू्र्ति?
आपके धन में स्थिरता और विस्तार लाने के लिए आदर्श आसन लक्ष्मी कमल पर विराजमान है। ऐसा माना जाता है कि खड़े होने से लक्ष्मी जी के जल्दी जाने की संभावना बढ़ जाती है. हिंदू परंपराओं और मान्यताओं के अनुसार, ध्यान रखें कि जब भी मूर्ति खरीदें उसमें माता-लक्ष्मी बैठी हुई हों. अपने कमरे के किसी भी हिस्से में देवी लक्ष्मी की कई मूर्तियां या तस्वीरें न लगाएं. मूर्तियों को रखने के लिए एक ऊंचा क्षेत्र स्थापित करें और पूजा अपने पूजा कक्ष में ही करें. उस चबूतरे पर एक लाल रंग का कपड़ा फैला हुआ होना चाहिए, साथ ही कुछ दाने बिखरे हुए हों.

दिवाली पर घर में कहां रखें भगवान गणेश और अन्य मूर्तियां?
देवी सरस्वती को देवी लक्ष्मी के दाहिनी ओर स्थित होना चाहिए, और भगवान गणेश को उनके बगल में रखा जाना चाहिए. पूजा कक्ष के उत्तर-पूर्वी कोने में मूर्तियों को रखें, और जल और कलश को पूर्व या उत्तर में रखें. इन सभी देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान स्थिति में होनी चाहिए.