
ईसाई समुदाय के लोग ईस्टर (Easter) का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. यह पर्व गुड फ्राइडे (Good Friday) के तीन दिन बाद यानी संडे को मनाया जाता है. इस बार ईस्टर का पर्व 20 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा. आइए ईस्टर संडे से जुड़ी मान्यताओं और इसके इतिहास के बारे में जानते हैं.
क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे
ईस्टर शब्द जर्मन के ईओस्टर शब्द से बना है. इसका अर्थ देवी होता है. यह देवी वसंत की देवी मानी जाती थी. ईस्टर प्रभु यीशु मसीह के दोबारा जीवित होने की खुशी में मनाया जाता है. इसे खजूर का संडे भी कहते हैं. ईसा मसीह खुद को ईश्वर का पुत्र बताते थे. वह लोगों को करुणा और प्रेम का संदेश देते थे. रोम के शासक और कुछ यहूदी धर्म गुरुओं को प्रभु यीशु (Lord Jesus) की बातें पसंद नहीं थी.
इस कारण यीशु को शारीरिक यातनाएं देते हुए सूली पर चढ़ा दिया था. जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था, उस दिन शुक्रवार था. इसके कारण उस दिन को उनके अनुयायी गुड फ्राइडे के तौर पर मनाने लगे. इस दिन ईसाई धर्म का अनुसरण करने वाले लोग शांतिपूर्ण तरीके से यीशु मसीह के अंतिम शब्दों का स्मरण करते हैं और कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं.
क्यों मनाया जाता है ईस्टर
ईसाई धर्म ग्रंथ बाइबल के अनुसार सूली पर चढ़ाए जाने के बाद ईसा मसीह की मौत हो गई थी. इसके बाद उन्हें कब्र में दफनाया गया था. कब्र में दफनाए जाने के तीन दिन बाद संडे के दिन ईसा मसीह पुनर्जीवित हो उठे. उनके पुनर्जीवित होने की खुशी में ईस्टर पर्व को मनाया जाने लगा. यीशु को सबसे पहले मरियम मगदलीनी नामक महिला ने देख अन्य महिलाओं को इस बारे में बताया था. बाइबिल के मुताबिक प्रभु यीशु पुनर्जीवित होने के बाद 40 दिनों तक पृथ्वी पर रहे थे. उन्होंने अपने शिष्यों को प्रेम और करुणा का पाठ पढ़ाया. इसके बाद वे स्वर्ग चले गए थे.
ईस्टर पर अंडे का है खास महत्व
ईस्टर पर्व पर अंडे का खास महत्व होता है. ईसाई धर्म के लोग अंडे को नया जीवन और उमंग का प्रतीक मानते हैं. ईसाई धर्म के लोग ईस्टर पर्व पर अंडे सजाकर एक-दूसरे को गिफ्ट करते हैं. उनकी मान्यता है कि अंडे अच्छे दिनों की शुरुआत और नए जीवन का संदेश देते हैं. प्रभु यीशु के पुनरुत्थान को नए जीवन की शुरुआत के रूप में देखा जाता है इसलिए अंडे इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
यह भी माना जाता है कि अंडे की परंपरा मिस्र से आई है. मिस्रवासी अंडे को जीवन का प्रतीक मानते थे और वसंत ऋतु में वे अंडे का त्योहार मनाते थे. ईसाईयों ने इस परंपरा को अपनाया और इसे ईस्टर से जोड़ दिया. ईसाई समुदाय के लोग ईस्टर के मौके पर अंडे को रंगों से रंगते हैं, उन पर चित्र बनाते हैं और उन्हें घरों और चर्चों में सजाते हैं. इस दिन बच्चों के लिए अंडे की खोज का खेल आयोजित किया जाता है. बच्चे छुपे हुए अंडे खोजते हैं और उन्हें इकट्ठा करते हैं.
कैसे मनाते हैं ईस्टर पर्व
1. ईसाई धर्म से जुड़े लोग ईस्टर पर्व के दिन अपन गलतियों की प्रायश्चित करने के लिए विशेष रूप से चर्च जाते हैं.
2. प्रभु यीशु के लिए कैंडल जलाकर उनसे अपनी गलतियों के लिए माफी मांगते हैं.
3. ईस्टर पर्व के दिन गिरिजाघरों में विशेष तरह की प्राथनाओं का आयोजन होता है.
4. ईस्टर पर्व के दिन लोग बाइबिल पढ़ते हैं. ईसाई समुदाय को लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं.
5. ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाने और दोस्तों को बांटने की भी परंपरा है.
6. इस दिन ईसाई समुदाय के लोग बच्चों को चॉकलेट, अंडे, खिलौने आदि गिफ्ट में देते हैं.
7. बच्चों को यीशु मसीह की कहानियां सुनाते हैं.