उत्तर प्रदेश में एटा जिले के जलेसर में बनने वाले घंटियों और घंटों की गूंज देश-विदेश के सभी मंदिरों में सुनाई देती है. यहां पर घंटियों का कारोबार इतना बड़ा है कि लगभग हर घर में घंटे बनाने का काम किया जाता है. पूरे जलेसर में 350 फैक्ट्रियां घंटा बनाने का काम करती हैं.
ऐसे ही एक उद्यमी हैं विकास मित्तल. जो जलेसर की सबसे बड़ी घंटा बनाने वाली फैक्ट्री चला रहे हैं. उनकी फैक्ट्री में बनाए जाने वाले घंटों की खास बात यह है कि इन्हें बनाने वाला पीतल भी यहीं तैयार किया जाता है. और इसे बनाने में जलेसर की शुद्ध मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है.
इस तरह करते हैं तैयार:
विकास मित्तल ने गुड न्यूज़ टुडे को बताया कि सबसे पहले कॉपर और जिंक को मिलाकर पीतल तैयार किया जाता है. इस पीतल को पिघलाने के लिए 900 डिग्री तापमान तक गर्म किया जाता है. इसके बाद सांचे के जरिए जलेसर की मिट्टी को घंटे का आकार दिया जाता है. और फिर इसमें पिघला हुआ पीतल डालकर इसे तैयार किया जाता है. घंटा तैयार होने के बाद इस पर नक्काशी और घिसाई का काम किया जाता है.
राम मंदिर के लिए बना रहे खास घंटा:
उन्होंने आगे कहा कि श्री राम की नगरी अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में लगाया जाने वाला घंटा भी यहीं पर तैयार किया जा रहा है. भव्य विशाल राम मंदिर के लिए बनाया जा रहा घंटा भी बहुत भव्य है. विकास मित्तल बताते हैं कि यह देश का अब तक का सबसे बड़ा घंटा है.
राम मंदिर के लिए 2100 किलो का घंटा बनाया जा रहा है. जो 6 फुट ऊंचा और 5 फुट चौड़ा है. इस घंटे को सोना, चांदी, पीतल और अन्य पांच धातुओं को मिलकर बनाया गया है. इसकी कीमत करीब 21 लाख रुपए बताई जा रही है.
सबसे बड़ी बात यह है कि यह घंटा इतना विशाल है कि इसकी गूंज करीब 1 से 2 किलोमीटर तक के दायरे में सुनाई पड़ेगी. फिलहाल घंटे के ढांचा तैयार कर लिया गया है. अब इसको रंग-रूप देने और नक्काशी करने पर काम किया जा रहा है. इसके अलावा राम मंदिर के दस छोटे 500, 250, और 100 किलो के घंटे बनाने का आर्डर भी उन्हें मिला है.
मुस्लिम कारीगरों ने बनाया राम मंदिर का घंटा:
सबसे खास बात यह है कि राम मंदिर में लगने वाले घंटों को बनाने के लिए दिल्ली से कारीगर इकबाल, बुर्रा, शमशुद्दीन और मुख्य कारीगर दाऊ दयाल जलेसर पहुंचे हैं. ये सभी कारीगार कई पीढ़ियों से यही काम कर रही हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन घंटों को बनाने वाले मुस्लिम कारीगरों में भी राम मंदिर को लेकर उतना ही उत्साह है जितना हिंदू कारीगरों को है.
अंत में विकास मित्तल ने बताया कि इन घंटो में एटा की ‘घुंघरू घंटी नगरी’ जलेसर और निर्माता फैक्ट्री का नाम भी लिखा जाएगा. जिससे इस नगरी की पहचान पूरी दुनिया में होगी.