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Sandhya Puja Vidhi: भक्तगण ध्यान दें! शाम में पूजा करने से मन होता है निर्मल... संध्या पूजन कैसे करें... जानिए इसकी विधि और नियम

भगवान की वंदना संध्याकाल में करने से न सिर्फ मन निर्मल होता है बल्कि नकारात्मक विचारों का भी अंत हो जाता है. आइए जानते हैं संध्या पूजन करने की सबसे उत्तम विधि क्या है और इससे आपको क्या-क्या लाभ हो सकते हैं.

Evening Prayer Evening Prayer
हाइलाइट्स
  • संध्या पूजन करने से व्यक्ति मानसिक स्तर पर होता है मजबूत

  • बढ़ जाती है व्यक्ति में कार्य करने की क्षमता

हिंदू धर्म में तीन वेला पूजा सुबह, दोपहर और शाम करने का विशेष महत्त्व है. शाम के समय की पूजा सूर्यास्त के समय की जाती है. इसे संध्या पूजन कहते हैं. शास्त्रों में संध्या पूजा का विशेष महत्त्व बताया गया है. संध्या पूजन करने से जीवन में अपार सुख, शांति और संपन्नता का आगमन होता है. नियमित संध्या उपासना करने से तमाम रोग दोष स्वयं ही नष्ट हो जाते हैं. 

संध्या पूजा में गायत्री की उपासना से आध्यात्मिक विकास होता है, मानसिक विकास होता है. हनुमान जी की आराधना करने से शनि के मंत्रों का जप करने से शनि से संबंधित जो नकारात्मक प्रभाव है, उसका नकारात्मकता दूर होता है. जीवन में सकारात्मकता की वृद्धि हो जाती है. शत्रु एवं कष्टों का नास होता है. धर्म ग्रंथों और पुराणों में भी संध्या पूजन का वर्णन किया गया है. भगवान की वंदना संध्याकाल में करने से न सिर्फ मन निर्मल होता है बल्कि नकारात्मक विचारों का भी अंत हो जाता है. ईश्वर की आराधना के कुछ नियम और सावधानियां भी होती हैं, जो पूजा को संपूर्ण और सफल बनाते हैं और उन नियमों का पालन न करने से पूजा का असर कम हो जाता है. संध्या वेला में ईश्वर की आराधना का अलग ही महत्त्व है. संध्या पूजन से मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास होता है.

संध्या पूजन के लाभ
1. संध्या पूजन करने से व्यक्ति मानसिक स्तर पर मजबूत होता है. 
2. व्यक्ति के अंदर शांतप्रियता की वृद्धि होती है. 
3. व्यक्ति के अंदर जो एक वैकूलता है, उससे मुक्ति मिलती है. 
4. व्यक्ति का जो चित्त है, मन है, वह शांत हो जाता है. 
5. क्रोध पर नियंत्रण होता है. व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक विकास होता है.
6. अपने इष्ट देव के प्रति लगाव बढ़ता है.
7. एक तेज का विकास होता है, व्यक्तित्व का विकास होता है.
8. व्यक्ति में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है.
9. ग्रहों से संबंधित कोई नकारात्मक प्रभाव है, वह दूर होता है.
10. व्यक्ति के चेहरे पर एक तेज का विकास होता है.
11. रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है, व्यक्ति रोग मुक्त होने लगता है, साहस बढ़ता है.

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संध्या पूजन की सावधानियां
संध्या पूजा से पहले स्नान करना उत्तम होगा. अच्छी तरह से हाथ-पैर धोकर भी पूजन कर सकते हैं. संध्या पूजन के पहले कुछ ना खाएं. संध्या पूजन में घर के जितने लोग शामिल होंगे, उतना ही अच्छा होगा. संध्या पूजन बिना दीपक के नहीं करनी चाहिए. संध्या पूजन के बाद घर में बनने वाले भोजन को भगवान को जरूर अर्पित करें. ईश्वर की सच्ची साधना से हर मनोकामना पूरी हो सकती है. प्रतिदिन ईश्वर की भक्ति और पूजा उपासना से उनकी विशेष कृपा बरसती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

संध्या पूजन के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
संध्या पूजन के दौरान घंटी नहीं बजाना चाहिए, इसका जरूर ध्यान रखना चाहिए. संध्या पूजन के दौरान माता तुलसी को दीपक जरूर जलाना चाहिए. संध्या पूजन के दौरान फूलों को नहीं तोड़ना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संध्या पूजन में मन को एकाग्र रखना चाहिए और जिस भी ईश्वर की आप आराधना करते हैं, उसमें आप एकदम अपने ध्यान को केंद्रित करके उनका स्मरण करते हुए मंत्रों का जप करें. पूजा में दीपक, शिवलिंग, शालीग्राम जमीन पर न रखें. देवी-देवताओं की मूर्तियों या शंख जमीन पर कभी न रखें. एक कपड़ा बिछाएं या किसी ऊंचे स्थान पर इन चीजों को रखना श्रेष्ठ रहता है.

संध्या पूजन का प्रभाव
ज्योतिष के जानकारों की माने तो नियमित संध्या पूजन जीवन के तमाम कष्टों और बाधाओं से मुक्ति देने के साथ साथ जीवन में अपार सुख, समृद्धि और संपन्नता भी ले आती है. दिन भर की भागदौड़ी के बाद शाम को जब आप उपासना करने बैठेंगे तो मन खुद बखुद शांत और निर्मल होने लगेगा. नींद अच्छी आएगी और आपके व्यवहार में भी मधुरता आएगी तो देर किस बात की आप भी संध्या पूजा कीजिए और दीजिए अपने जीवन को एक नई दिशा.