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Pahari Mandir: सावन के पहले सोमवार पर पहाड़ी बाबा मंदिर में उमड़ा भक्तों का हुजूम, कई पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को समेटे है ये मंदिर

विश्व का सबसे ऊंचा झंडा भी यहां फहराया गया था और उसका ध्वजारोहन तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 23 जनवरी 2016 को किया था. पहाड़ी मंदिर के शिखर को फांसी डूंगरी भी कहा जाता रहा है. 

Pahari Mandir Pahari Mandir

रांची का पहाड़ी बाबा मंदिर देश के दूसरे शिवालयों से थोड़ा हटकर है. पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यताओं को समेटे ये मंदिर शिव भक्ति के साथ देश भक्ति का भी संदेश देता है. यहां सावन में तमाम मनोकामनाओं के पूर्ण होने की मान्यता भक्तों के बीच है. जबकि मंदिर में 15 अगस्त और 26 जनवरी को आज़ादी के बाद से ही तिरंगा फहराया जाता रहा है.

बड़ी तादाद में भक्तों का लगा तांता
राँची के इस प्राचीन पहाड़ी बाबा मंदिर में सैंकड़ों साल से सावन के दौरान भक्तों का तांता लगा रहता है. पहाड़ी मंदिर न्यास समिति के सदस्य राकेश सिंहा ने बताया कि सुबह 7 बजे के बाद दोपहर 12 से पहले ही लगभग बड़ी तादाद में भक्तों ने बाबा का दर्शन किया है. बाबा का  दरबार 500 सीढ़ियों के ऊपर है. ठीक वैसा ही एक मंदिर नीचे भी बना हुआ है ताकि जो ऊपर तक जाने में किसी कारण से सक्षम न हो वो नीचे भी भोले बाबा का दर्शन कर सकें.

पूरी होती है हर मनोकामना
पौराणिक मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना पूरी होती है. भक्तों ने बताया कि इस बार व्यवस्था काफी अच्छी है. भक्त वंदना का कहना है कि उनकी तरह लाखों भक्त हैं जिनकी आस्था यहां से जुड़ी हुई है. द्वादश ज्योर्तिलिंग लिंग बैद्यनाथ धाम के बाद पहाड़ी बाबा का काफी महत्व है. 

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अर्घ्य के जरिए होगा जलाभिषेक
मंदिर में इस बार भी बाबाधाम देवघर की तरह ही भीड़-भाड़ से बचने और भक्तों की सहूलियत के लिए अर्घ्य  सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है. यानी  स्पर्श पूजा सावन में नहीं होगी. जलाभिषेक अर्घ्य के माध्यम से करना होगा. मंदिर के अंदर शिवलिंग तक जाने की मनाही रहेगी. पूरे मंदिर परिसर की निगरानी के लिए 46 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. कंट्रोल रूम बनाए गए हैं.

शिव भक्ति के साथ देश भक्ति का भी संदेश
पहाड़ी मंदिर में मौजूद वालंटियर कहते हैं कि यहां शिव भक्ति के साथ देश भक्ति का भी संदेश दिया जाता है. यहां 15 अगस्त और 26 जनवरी को  पहले ध्वजा रोहण किया जाता था. देश के रक्षा मंत्री ने यहां विश्व का सबसे ऊंचा तिरंगा 23 जनवरी 2016 को फहराया था. इस जगह को फांसी डूंगरी भी कहा जाता है. ब्रिटिश इस पहाड़ी के शिखर पर 250 से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दे चुके हैं. 15 अगस्त 1947 को यहां पहली बार तिरंगा फहराया गया था.

यहां सुरक्षा की भी मल्टी लेयर व्यवस्था की जाती है और सीसीटीवी से निगहबानी खुद जिला प्रशासन करता है. इस बार भक्तों की भीड़ को देखते हुए सावन में देवघर के तर्ज पर यहां भी अर्घ्य सिस्टम के जरिए ही जलाभिषेक होता है.

-सत्यजीत कुमार की रिपोर्ट