मां गायत्री कमलासना है. मां का स्वरूप अति कोमल है. मां के पांच मुख हैं. आठ हाथों वाली मां गायत्री के दो हथ वरमुद्रा में रहते हैं, जबकि बाकियों में कमल, अन्न पात्र, पाश,गदा,शंख,चक्र जैसे अस्त्र सुशोभित होते हैं. देवी गायत्री को वेदों की माता कहा जाता है. माता गायत्री को देवी पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी का संयुक्त अवतार भी माना जाता है. हिंदू धर्म में गायत्री देवी को मंत्र को महामंत्र भी कहा गया है. इस मंत्र के जाप से हर परेशानी दूर हो सकती है. ज्योतिष शास्त्र के उपायों में भी गायत्री मंत्र का जाप करने की सलाह दी जाती है. गायत्री जयंती पर देवी की पूजा विशेष रूप से करने का विधान है.
मां गायत्री की उत्पत्ति-
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर ब्रह्म देव जब सृष्टि की रचना के प्रारंभ में थे, तब उन पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था. उन्होंने ही सर्वप्रथम गायत्री माता का आह्वान किया. अपने मुख से गायत्री मंत्र की व्याख्या की. इस तरह से गायत्री माता का प्रकाट्य हुआ. गायत्री माता से ही चारों वेद, शास्त्र आदि पैदा हुए.
मां गायत्री का पूजा विधान-
11 जून शनिवार को ही गायत्री जयंती का पर्व मनाया जाएगा. इस पूरे दिन कभी भी देवी गायत्री की पूजा की जा सकेगी. क्योंकि मां गायत्री की जयंती इस साल सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी. अब आपको बताते हैं मां गायत्री की पूजा का विधान क्या है.
गायत्री मंत्र की खास बातें-
इस प्रकार देवी गायत्री की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और निगेटिविटी दूर होती है. गायत्री मंत्र को महामंत्र कहा गया है. इसके उपाय करने से जीवन में आ रही सारी परेशानी दूर हो जाती है. बस जरूरत है सही नियम और संयम के साथ गायत्री मंत्र का जाप करने की. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो गायत्री मंत्र के प्रभाव से आपको रोगों से मुक्ति मिल जाती है. मन शांत होता है और जीवन में खुशहाली आती है. आइए जानते हैं गायत्री मंत्र से जुड़ी कुछ और खास बातें.
क्या है गायत्री मंत्र-
सभी मंत्रों में सबसे प्रभावशाली जिस मंत्र को माना जाता है. वो हैं गायत्री मंत्र, क्योंकि गायत्री मंत्र में 4 वेद, 18 पुराण, 108 उपनिषद और सनातन धर्म के सैकड़ों शास्त्र और ग्रंथ समाएं हैं.
क्या है मंत्र जाप की विधि-
गायत्री मंत्र के विषय में पुराणों में उल्लेख मिलता है कि जैसे भगीरथ ने अथक तपस्या कर मां गागा को धरती पर लाए थे. वैसे ही महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तप कर ब्रह्मा जी से गायत्री मंत्र की दीक्षा पाई और फिर उसे जन जन तक पहुंचाया. गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार है. इस मंत्र के जपने मात्र से कई तरह के पापों और कष्टों का नाश हो जाता है. गायत्री मंत्र के जाप से पुण्य फल में वृद्धि होती है और कार्यों में सफलता मिलती है. इसलिए शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप का विधान बताया गया है.
शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि आकाशवाणी से ही सृष्टि के रचयिता को गायत्री मंत्र प्राप्त हुआ था. गीता में भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि मंत्रों में वो गायत्री मंत्र हैं. यही वजह है कि तांत्रिक और वैदिक मंत्रों का अनुष्ठान बिना गायत्री मंत्र के पूरा नहीं होता. क्योंकि गायत्री को वेदमाता कहा जाता है.
गायत्री मंत्र का जाप-
गायत्री मंत्र का जाप कब सबसे प्रभावशाली होता है ये जानना भी बहुत जरूरी है. गायत्री मंत्र का जाप तीन समय में किया जाए तो ज्यादा असरदार माना जाता है.
गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय से थोड़ी देर पहले शुरू करें
मंत्र जाप सूर्योदय के थोड़ी देर बाद तक कर सकते है
दोपहर के समय में भी गायत्री मंत्र का जाप किया जा सकता
गायत्री मंत्र का जाप सूर्यास्त से पहले शुरू करें
मंत्र जाप सूर्यास्थ के थोड़ी देर बाद तक करें
गायत्री मंत्र का प्रयोग हर क्षेत्र में सफलता के लिए सिद्ध माना गया है. इसीलिए आपके जीवन में या फिर आपके परिवार में कोई भी समस्या, संकट या फिर परेशनी हो, हर परेशानी की हल गायत्री मंत्र का जप है.
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