धर्मग्रंथ कहते हैं कि जिस दिन कुरुक्षेत्र में केशव ने पार्थ को धर्म का मर्म समझाया था उस दिन गीता के ज्ञान से पहली बार दुनिया का साक्षात्कार हुआ था. इसलिए हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र दिन गीता जयंती का माना जाता है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर ही अर्जुन को श्री कृष्ण से गीता का ज्ञान मिला था. कहते हैं कि गीता कलयुग में सत्य की वाहक है. गीता के उपदेश के अवतरण को गीता जयंती के रुप में मनाने का विधान है. इस साल 3 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी.
क्या है शुभ मुहूर्त?
मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही अर्जुन के साथ साथ हनुमान, बर्बरीक और संजय को गीता का ज्ञान मिला था. इसीलिए हर साल इसी तिथि पर गीता जयंती मनाने का विधान बताया गया है. 3 दिसंबर को सुबह 05.39 मिनट पर मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत हो रही है. यह तिथि 04 दिसंबर दिन रविवार को सुबह 05.34 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में उदयातिथि को आधार मानकर गीता जयंती इस साल 03 दिसंबर को मनाई जाएगी.
गीता जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. इस दिन श्रीमद्भागवत गीता के दर्शन करने मात्र से समस्याएं व नकारात्मकता दूर होने की मान्यता है. मान्यता है कि गीता जयंती के दिन 11वें विश्वरूप दर्शन योग और 18वें अध्याय मोक्षसंन्यास योग का पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा और विष्णु सहस्रनाम कापाठ करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं, पाप कट जाते हैं और सारी चिंताएं खत्म हो जाती हैं.
क्या है इस दिन की महिमा?
अगर आपके घर में धन धान्य की कमी है तो विषम संख्या में गीता का दान करने से सुख संपदा के साथ साथ पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है. इसके अलावा, भाग्योदय के लिए कृष्ण भक्त इस दिन व्रत उपवास रखते हैं. दुनिया भर में इस्कॉन के मंदिरों में गीता जयंती का भव्य उत्सव मनाया जाता है. गीता जयंती का भव्य उत्सव कुरुक्षेत्रमें देखने को मिलता है. देश भर के भक्त कुरुक्षेत्र में ब्रह्म सरोवर में स्नान करने के अनुष्ठान में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं. इस दिन को मनाने के लिए, हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है, जो लगभग सात दिनों तक चलता है जिसे गीता जयंती समरोह के नाम से जाना जाता है.
कैसे करें भगवत गीता का पूजन और पाठ?
गीता जयंती को मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं. इस दिन की महिमा अपरंपार है. ये वो दिन है जब कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण ने वीर धनुर्धर अर्जुन को गीता का परम ज्ञान दिया था. गीता का ज्ञान पाकर ही अर्जुन ने मायारूपी इस संसार के दुष्टों का नाश किया. चलिए जानते हैं कि गीता जयंती के दिन भगवत गीता का पूजन और पाठ कैसे किया जाता है.
-स्नान कर पूजा घर को साफ करें.
-एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं.
-इस पर भगवान कृष्ण की स्थापना करें
-लाल या पीले कपड़े में लिपटी हुई गीता की नई प्रति स्थापित करें.
-पीले फल, पुष्प, धूप-दीप, दूर्वा अर्पित करें.
-फल, मिष्ठान्न और पंचामृत अर्पित करें.
-इसके बाद श्री कृष्ण के मन्त्रों का जाप करें.
-"ऊं गंगे'' मंत्र का उच्चारण कर आचमन करें.
-अंत में पूजा संपन्न करने के लिए आरती अर्चना करें.
इसके बाद गीता का सम्पूर्ण पाठ या सिर्फ अध्याय 11 का पाठ करें और पाठ के बाद गीता जी की आरती पढ़ें. कहते हैं कि गीता जयंती के दिन अगर आप भगवान श्री कृष्ण से अपनी कामनापूर्ति की प्रार्थना करते हैं तो निश्चित ही आपकी सारी मुरादें पूरी हो जाती हैं.