Guru Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. हर व्रत हर महीने किया जाता है. प्रदोष व्रत महादेव और मां पार्वती को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भोले बाबा की आराधना करने से भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. प्रदोष व्रत करने से पापों से मुक्ति मिलती है. गुरु प्रदोष व्रत रखने से यश, सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं नवंबर महीने का प्रदोष व्रत कब है और कैसे भगवान शंकर की पूजा करें कि वह खुश हो जाएं.
इस दिन रखा जाएगा गुरु प्रदोष व्रत
हर माह की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को गुरु प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है. यह नवंबर महीने का आखिरी प्रदोष व्रत भी होगा. त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर 2024 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होगी और त्रयोदशी का समापन 29 नवंबर 2024 को सुबह 08 बजकर 39 मिनट तक रहेगा.उदयातिथि मान्य होने के कारण गुरु प्रदोष व्रत 28 नवंबर 2024 को रखा जाएगा.
पूजा के लिए क्या है शुभ मुहूर्त
28 नवंबर को शाम 05 बजकर 23 मिनट से रात 08 बजकर 05 मिनट तक प्रदोष व्रत पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा. इस दौरान प्रदोष काल रहेगा. भगवान शिव की प्रदोष काल में पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है. गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत की महत्ता अधिक है क्योंकि गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है.
ऐसे में इस दिन भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा जरूर करें. ज्योतिष गणना के अनुसार प्रदोष व्रत पर गर और वणिज करण बन रहे है, जिस पर चित्रा नक्षत्र का संयोग रहेगा. इस योग में पूजा करना बेहद कल्याणकारी माना जाता है. इस तिथि पर सौभाग्य योग बन रहा है, जो शाम 4 बजकर 1 मिनट तक रहेगा. इसके बाद शोभन योग का निर्माण हो रहा है, जो 29 नवंबर 2024 को शाम 4:33 मिनट तक रहेगा. प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है.
पूजा विधि
1. प्रदोष व्रत के दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
2. इसके बाद घर के मंदिर को साफ करें और प्रसाद बनाएं.
3. भगवान शिव और देवी पार्वती के समक्ष घी का दीपक जलाएं. भोले बाबा को बेलपत्र और फूल अर्पित करें.
4. माता पार्वती को शृंगार का सामान अर्पित करें.
5. यदि आप व्रत रखना चाहते हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर संकल्प लें.
6. संध्या के समय घर के मंदिर में दीपक जलाएं. निकट के शिव मंदिर में जाकर पूजा करें और ध्यान लगाएं.
7. शिव मंत्र ऊं नमः शिवाय का जाप करें.
8. इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें और फिर भगवान भोले की आरती करें.
9. अंत में किसी भूल चूक के लिए भगवान से माफी मांगें.
10. प्रदोष व्रत के अगले दिन भोजन बनाकर सबसे पहले गाय को खिलाएं. इसके बाद खुद भोजन करके अपना उपवास खोलें.