वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित 'व्यासजी का तहखाना' नाम के तहखाने में पूजा (प्रार्थना) करने की अनुमति दे दी है. जिला जज ने अपने आदेश में कहा है कि विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों से पूजा कराई जाए और बैरिकेडिंग हटाने की व्यवस्था की जाए. बता दें, इस याचिका में सोमनाथ व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक ने तहखाने में पूजा पाठ की इजाजत मांगी थी.
17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश से अपने नियंत्रण में ले लिया था. हालांकि, अब मुस्लिम पक्ष इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट अपील करने वाला है. मुस्लिम पक्ष ने अदालत में तहखाने में पूजा की मांग पर आपत्ति जताई है.
क्या है व्यासजी का तहखाना?
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में चार तहखाने हैं, जिनमें से एक व्यास परिवार के कब्जे में है. इसे 'व्यासजी का तहखाना' के नाम से जाना जाता है. ऐतिहासिक रूप से इस तहखाने में व्यास परिवार के सदस्य रहते थे, जो यहां पूजा-पाठ करते थे. हालांकि, साल 1993 में अधिकारियों ने तहखाने तक पहुंच प्रतिबंधित कर दी थी. इसके बाद शैलेन्द्र कुमार पाठक व्यास ने तहखाना में पूजा फिर से शुरू करने की अनुमति के लिए मुकदमा दायर किया था. अब जिला जज ने इसकी अनुमति दे दी है. काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अधीन तहखाने की पूजा की जाएगी.
कानूनी कार्यवाही और याचिकाकर्ताओं के दावे
पुजारी सोमनाथ व्यास के पोते के रूप में शैलेन्द्र कुमार पाठक व्यास ने अदालत में याचिका दायर की कि उन्हें प्रार्थना करने के उद्देश्य से तहखाना में प्रवेश की अनुमति दी जाए. उनके मुकदमे में दूसरी पार्टी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी (एआईएमसी) थी जो मस्जिद का प्रबंधन देखती है.
17वीं शताब्दी में था हिंदू मंदिर
जिला अदालत का ये फैसला व्यासजी का तहखाना में हिंदू प्रार्थनाओं के आयोजन की अनुमति देने को लेकर है. अब तक ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कई याचिकाएं डाली गई हैं. साइट के ऐतिहासिक महत्व को समझने के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इसपर अध्ययन कर रहा है. हाल ही में आई ASI की रिपोर्ट के मुताबिक, 17वीं शताब्दी में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर था.
(इनपुट- समर्थ श्रीवास्तव)