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Hanuman Janmotsav 2025: हनुमान् जन्मोत्सव पर जानें क्या है हनुमान् शब्द का वास्तविक अर्थ, क्या है 'बजरंगबली' के पीछे की कहानी

Hanuman Janmotsav 2025: देशभर में आज लोग हनुमान जन्मोत्सव मना रहे हैं. हनुमान जनमोत्सव का सनातन धर्म में खास महत्व है. क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी के नाम का क्या अर्थ है. या फिर उन्हें बजरंगबली क्यों कहा जाता है? आइए जानते हैं.

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सनातन धर्म की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में श्री हनुमान जन्मोत्सव का विशेष स्थान है. भगवान हनुमान को संकटमोचन, बजरंगबली और पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन उनका सबसे विशेष नाम हनुमान ही है. क्या आप जानते हैं कि इस नाम का अर्थ क्या है? आइए डालते हैं हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर बजरंगबली के 'हनुमान' नाम के अर्थ पर नजर. 

हनुमत् से बना हनुमान
लेखक कमलेश कमल बताते हैं कि अगर व्याकरणिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो 'हनुमत्' से 'हनुमान्' शब्द की उतपत्ति हुई है. जैसे 'धीमत्' से 'धीमान्'(बुद्धिमान्), 'विद्वत्' से 'विद्वान्'; उसी तरह 'हनुमत्' से हनुमान्. अब ‘हनुमान्’ शब्द को देखें तो ‘हनु' और 'मान्' दो शब्द मिलते हैं. चूंकी कोई दो वर्ण नहीं मिल रहे हैं और न ही कोई विकार उत्पन्न हो रहा है, इसलिए 'हनुमान्' में कोई संधि नहीं है.

हनुमान में दो शब्द मिल रहे हैं, अतः यहां समास हो सकता है. सबसे पहले, हनु शब्द के दो अर्थ जानना जरूरी है. पहला, हनन करना और दूसरा जबड़ा अथवा ठुड्डी. इस तरह हनुमान् शब्द के भी दो अर्थ हुए. पहला, जिसने हनन कर लिया अपने मान अथवा घमंड का. यानी बहुव्रीहि-समास. दूसरा, 'हनु' अर्थात् जबड़ा है जिसका मान. यानी कर्मधारय-समास.

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क्या कहते हैं व्याकरण के नियम?
समास-विग्रह का नियम है कि जहां बहुव्रीहि और कर्मधारय दोनों समास हों, वहां 'बहुव्रीहि' को वरीयता दी जाती है. अगर तर्क के अनुसार भी देखा जाए तो 'जिसने हनन कर दिया अपने मान का' ही सही अर्थ लगता है. कमल लिखते हैं, "ऐसे भी अतुलित बल के धाम (निवास स्थान), ज्ञानियों के नामों में सबसे आगे गिने जाने वाले और सकल (सभी) गुणों के निधान, वानरों के प्रमुख, पवनपुत्र ‘हनुमान्’ के लिए बहुव्रीहि समास ही समीचीन है."

बजरंगबली नाम भी है खास
कमल बजरंगबली विशेषण के बारे में लिखते हैं, "बजरंगबली विशेषण भी रोचक है. यह बजरंग और बली से बना दिखता है. लेकिन बजरंग मूलतः वज्रांग है. मान्यता है कि 'अंजनिपुत्र' को ऋषि-मुनियों का आशीष मिला और उनका शरीर वज्र की भांति कठोर हो गया. वज्र-सदृश शक्तिशाली अंग होने से वे 'वज्रांग' हुए और 'बली' अथवा शक्तिशाली होने के कारण 'वज्रांगबली' हो गए. 

लोक की भाषा में यह 'वज्रांगबली' ही 'बजरंगबली' के रूप में लोकप्रिय हो गया. साथ ही, 'मरुत' के समान वेगवान् अथवा वायु देवता के पुत्र होने के कारण वे 'मारुति', पवनसुत, मरुतसुत इत्यादि भी कहलाए. 

(लेखक कमलेश कमल प्रख्यात भाषा-विज्ञानी एवं बेस्टसेलर लेखक हैं.)