हिंदू धर्म में सावन को त्योहारों का महीना कहा जाता है. भगवान शंकर को समर्पित इस माह में कई त्योहार मनाएं जाते हैं. इनमें से एक है हरियाली तीज. सावन में आने वाली अमावस्या को चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है इसलिए इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं. इस बार ये तिथि 28 जुलाई को है. आइए जानते है हरियाली अमावस्या का धार्मिक और पौराणिक महत्व.
हरियाली अमावस्या, हरियाली तीज से तीन दिन पहले आती है. हरियाली अमावस्या के दिन को अत्यन्त शुभ माना जाता है. कहते है कि इस दिन भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस साल हरियाली अमावस्या का पर्व 28 जुलाई को मनाया जाएगा.
क्या है शुभ मुहूर्त?
सावन मास की अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 जुलाई को रात 9.11 बजे से होगी. इसका समापन 28 जुलाई की रात को 11.24 बजे होगा इसलिए हरियाली अमावस्या का पर्व 28 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन कई शुभ नक्षत्र में पड़ रहे हैं. इस दिन गुरु पुष्य का शुभ योग भी बन रहा हैं. इस योग को नक्षत्रों का राजा माना जाता है इसलिए इस योग में तर्पण, पिंडदान करना सबसे पुण्यकारी माना गया है. हरियाली अमावस्या को सुबह 07:05 तक पुनर्वसु नक्षत्र होने से सिद्धि और उसके बाद पुष्य नक्षत्र होने से दो शुभ योग बनेंगे. इस दिन सभी सुहागिनें पूर्ण मनोयोग से शिव और पार्वती की कृपा पाने का जतन करती है.
क्या है पूरी विधि?
क्या है मान्यता?
हरियाली अमावस्या पर सुबह उठकर भक्त पूरी भक्ति के साथ देवी पार्वती और भगवान शिव का आह्वान करना चाहिए. विवाहित महिलाएं सिंदूर से देवी पार्वती की पूजा शुरू करती हैं और फिर प्रसाद बांटती हैं. ऐसा माना जाता है कि हरी चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी बांटने से जीवनसाथी को लंबी उम्र मिलती है और घर में खुशियां भी आती हैं. हरियाली अमावस्या के दिन भक्त पीपल और तुलसी के पेड़ों की भी पूजा करते हैं. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और परिक्रमा की जाती है और मालपुआ को प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा है.ऐसा माना जाता है कि जो लोग सावन मास की अमावस्या को व्रत करते हैं, उन्हें धन और वैभव की प्राप्ति होती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने की भी विशेष परंपरा है.
पूर्वजों को करें तृप्त
हिंदू धर्म में अर्पण और तर्पण का विशेष महत्व है. भगवान को आप भोग अर्पित करके उनकी कृपा पाते हैं और तर्पण से आपके पूर्वज तृप्त होते हैं. उनका आशीर्वाद आपको मिलता है. कहते हैं कि इस दिन दान-पुण्य करने से ना सिर्फ पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है बल्कि आपको भी जाने अनजाने किए पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है.
कहते है कि पूर्वजो के निमित्त किया कर्मकांड चार चरणों में किया जाता है. चार चरणों की प्रक्रिया में विश्वदेव स्थापना, पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मणों को भोजन कराना शामिल है.
विश्वदेव- पहला चरण
एक पुजारी से परामर्श करना और अनुष्ठान करने के लिए सभी आवश्यक सामग्री इकट्ठा करना है।
पिंडदान -दूसरा चरण
चावल, गाय का दूध, जौ, घी, शहद और चीनी से बने भोजन का दान करें
तर्पण --तीसरा चरण
तर्पण में जल सहित तिल, जौ, कुश घास, सफेद आटा अर्पित करना होता है।
ब्राह्मणों को भोजन कराना-चौथा चरण
पितृ पूजा ब्राह्मणों को भोजन कराकर संपन्न होती है।
शास्त्र कहते है कि हरियाली अमावस्या पर कुछ उपाय करके हम पितरों को प्रसन्न कर सकते है.
हरियाली अमावस्या के उपाय
हरियाली अमावस्या के दिन दूध में काले तिल डाल कर मंदिर जाएं और इससे शिवलिंग का अभिषेक करें. ॐ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें.शिव जी के अभिषेक के बाद पीपल के नीचे तिल के तेल का दीपक जलाएं. पांच तरह की मिठाइयों को अलग अलग पांच पीपल के पत्तों पर रखें. ॐ सर्वेभ्यो पितृदेवेभ्यो नमः मंत्र का जाप करें. इसके बाद पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें. पितरों से अपनी गलतियों की क्षमा मांगें. इसके बाद उस प्रसाद को गरीबों में बांट दें, स्वयं न खाएं. हरियाली अमावस्या के दिन आप पीपल का पौधा भी लगा सकते हैं. सावन में ये पौधा आसानी से लग जाएगा. जैसे जैसे ये पौधा बड़ा होगा, वैसे वैसे पितरों से जुड़ी तमाम समस्याएं भी समाप्त होंगी. इसके अलावा आप हर अमावस्या पर पितरों के निमित्त सरसों के तेल का दीपक भी जला सकते हैं.