हिंदू धर्म में हरियाली या हरितालिका तीज का बहुत ज्यादा महत्व है. इस साल यह त्योहार 31 जुलाई 2022 को मनाया जा रहा है. हरियाली तीज के कई मायने हैं. जैसे बहुत सी जगहों पर इस दिन स्त्रियों को झूला झुलाया जाता है तो कई जगह पर इस दिन व्रत रखने का रिवाज होता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था. इसलिए इस दिन शिव-पार्वती की विशेष पूजा की जाती है.
हरियाली तीज को लड़कियों के लिए खास बताया गया है क्योंकि इस दिन कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं तो सुहागिनें भी सुखी दांपत्य जीवन के लिए उपवास रखती हैं. इसलिए GNT Digital ने खास तौर पर हरियाली तीज के व्रत के बारे में उज्जैन के वेदाचार्य पंडित निशांत शर्मा से जाना.
हरियाली तीज के व्रत का क्या महत्व है?
वेदाचार्य पंडित निशांत शर्मा ने बताया कि यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा अपने सौभाग्य की लंबी आयु और कुंवारी कन्याओं द्वारा यह व्रत शिव जैसे सुयोग्य वर को प्राप्त करने के लिए किया जाता है. यही हरियाली तीज व्रत का महत्व है. क्योंकि इस दिन मां पार्वती अपने स्वामी शिव शंकर से मिली थीं.
हरियाली तीज व्रत के पूजन का क्या विधान है?
वेदाचार्य पंडित निशांत शर्मा के मुताबिक, हरियाली तीज के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर को स्वच्छ कर, भगवान गणेश-गौरी-शिव का संयुक्त पूजन किया जाता है. इस पूजन में विशेषतः गंगा किनारे अथवा तीर्थ नदियों की मिट्टी से निर्मित गणपति और शिव-पार्वती की मूर्ति का निर्माण करें. फिर इनका पंचोपचार पूजन करना चाहिए और रात को जागरण कर अपनी सभी मनोकामनाओं का अनुसरण करते हुए व्रत पूर्ण करना चाहिए.
हरियाली तीज की परंपरा कब से मानी जाती है?
वेदाचार्य पंडित निशांत शर्मा कहते हैं कि यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है. सर्वप्रथम मां पार्वती ने शिव को प्राप्त करने के लिए यह कठोर निर्जल व्रत धारण किया था. यह व्रत सौभाग्यवती स्त्री या कुंवारी कन्याओं द्वारा सुयोग्य वर या यह कहें कि शिव समान वर की प्राप्ति के लिए किया जाता है.
इस दिन व्रत करने से कौन-से मनोरथ सिद्ध होते है?
वेदाचार्य पंडित निशांत शर्मा कहते हैं कि इस व्रत को करने से सौभाग्यवती स्त्री या कुंवारी कन्याओं को शिव समान वर की प्राप्ति होती है. यूं तो यह व्रत सर्व मनोरथ को सिद्ध करने वाला है. परंतु हरियाली तीज कुंवारी कन्याओं द्वारा सौभाग्य प्राप्ति के लिए तथा सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा किया जाता है.
इस व्रत को करने की क्या सावधानियां हैं?
हरियाली तीज व्रत करने की सावधानियां बताते हुए वेदाचार्य पंडित निशांत शर्मा कहते हैं कि इस दिन मुख्यतः सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. देर तक सोना, इस दिन सही नहीं बताया गया है. साथ ही, इस दिन घर को भी पवित्र जल से शुद्ध करना जरूरी है. घर में किसी भी प्रकार की अशुद्धि वातावरण ना हो, इसका पूरा ध्यान देना चाहिए.
विशेषतः यह महिलाओं का त्यौहार है तो सभी महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए. और महिलाएं इस दिन हरे वस्त्र पहनें. और पूरा दिन मां गौरी और शिव शंकर की पूजा-आराधना में बिताना चाहिए.
(संदीप कुलश्रेष्ठ की रिपोर्ट)