हस्तिनापुर के बारे में यूं तो कई दिलचस्प किस्से हैं. महाभारत काल में हस्तिनापुर कुरु वंश के राजाओं की राजधानी थी. हिन्दू इतिहास में हस्तिनापुर का खासा महत्तव है, हिन्दू इतिहास में पहला सन्दर्भ सम्राट भरत की राजधानी के रूप में आता है. महा काव्य महाभारत में कई घटनाएँ हस्तिनापुर में घटी घटनाओं पर आधारित है.
हस्तिनापुर में इतिहास के सबसे बड़े युद्ध की कहानी हो या एक किवदंती की सत्यता को लेकर कई बार सवाल उठने का वाक्या हो जिसके लिए कई बार उसको जमीनी कसौटी पर उतरना पड़ा, महाभारत से जुड़ी कई कहांनिया पश्चिमी उत्तर के कई इलाकों में सुनी जा सकती हैं. इनसे जुड़े साक्ष्य भी कई बार सामने आ चुके हैं. एक बार फिर मेरठ के पास हस्तिनापुर में पुरातत्व विभाग महाभारत से जुड़े साक्ष्य तलाशने की कोशिश की जाएगी, ये कोशिश इस बात को उजागर करने का एक कदम होगा कि हजारों साल बाद भी मानव सभ्यता से जुड़ी ये चीजो को कैसे समझा जाये.
करीब 80 साल बाद हस्तिनापुर में मिले चौंकाने वाले साक्ष्य
करीब 80 साल बाद आज हस्तिनापुर में मिले कुछ साक्ष्यों को महत्वपूर्ण माना गया है, 1952 में हुई खोज में ऐसी कई सारी चींजे मिली जो चौंकाने वाली थी, जिसका संबध महाभारत से था. अब इन्हीं तथ्यों को सरकार तक पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गई है. इसमें अब तक मिले तमाम साक्ष्यों की कार्बन डेटिंग कराई जाएगी साथ ही पांडव टीला और उसके आस पास के क्षेत्र में पुरातत्व विभाग फिर से एक्सकैवशन करेगा. बता दें कि हस्तिनापुर में कई ऐसी जगहें हैं जहाँ पर महाभारत कालीन अवशेष मिलते रहे है, अब पुरातत्व विभाग उन स्थानो की खोज करेगा
सभी साक्ष्यों की जांच के लिए सरकार ने दिए 500 करोड़
कार्बन डेटिंग से ये जानकारी सामने आएगी कि जो भी समान पुरात्तव विभाग को मिले हैं, क्या वाकई महाभारत काल का हैं या फिर इन सामानों को इतिहास उससे भी पहले का है क्योंकि कॉपर से बने हथियार का इतिहास करीब 4000 साल से 6000 साल पुराना है. हस्तिनापुर के पांडव महल के अलावा ऊपरी टीला की कार्बन डेटिंग के लिए केन्द्र सरकार ने करीब 500 करोड़ रुपए का बजट अलॉट किया है , जिसका मकसद हस्तिनापुर का विकास पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाना और उसके पुरातात्विक महत्व को आम जनता के सामने लाने के प्रयास को सफल बनाना है.
10 फरवरी से होगी साक्ष्यों की जांच
भारतीय पुरातत्व विभाग मेरठ जोन के डॉ आर गणनायक बताते है कि नए साल में इसकी शुरूआत की जाएगी, करीब 10 जनवरी से एक्सकैवशन शुरु होगा, पहले की गई खोज के आधार पर हम लोगो ने कुछ तय स्थानों पर जाने का प्लान बनाया है. मेरठ और हस्तिनापुर हमेशा से महाभारत से जुड़े स्थलों के महत्वपूर्ण माने जाते हैं. हालांकि बागपत के सिनोली में जब महाभारत कालीन खोज हुई तो इतिहास की दिशा ही बदल दी थी, और अब ऐसी ही उम्मीद इस नई खोज से भी है.