इसबार रामलला कचनार के फूलों से बने गुलाल से होली खेलेंगे. राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI) ने हर्बल गुलाल के क्षेत्र में एक नए इनोवेशन किया है. उन्होंने इसबार 'कचनार' पेड़ के फूलों से गुलाल बनाया है. बता दें, कचनार का पेड़ भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
कचनार के पेड़ का जिक्र रामायण में भी मिलता है. मान्यता है कि इसके फूलों को भगवान राम के शासनकाल के दौरान अयोध्या साम्राज्य के ध्वज पर उकेरा गया था. अब इसी का उपयोग करके एनबीआरआई वैज्ञानिकों ने हर्बल गुलाल बनाया है.
कचनार वृक्ष के फूलों में बहुत है क्षमता
दरअसल, कचनार एक औषधीय पेड़ है. इसके फूलों से हर्बल गुलाल बनाने की यात्रा तब शुरू हुई जब NBRI के वैज्ञानिकों ने औषधीय पौधों और पेड़ों का अध्ययन शुरू किया. ऐसे में उन्होंने कचनार पेड़ पर रिसर्च करने का सोचा. इससे पहले कभी भी कचनार से गुलाल नहीं बनाया गया है. लेकिन इसके बावजूद वैज्ञानिकों ने इसपर एक्सपेरिमेंट करने का सोचा और इसके छिपे हुए गुणों को उजागर करने के लिए प्रयोग किया.
भारतीय पौधा है कचनार
कचनार एक भारतीय पौधा है जो दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे श्रीलंका, थाईलैंड आदि में पाया जाता है. इसे ऑर्किड ट्री के रूप में भी जाना जाता है. कचनार के फूल पांच पंखुड़ी वाले होते हैं, जो गुलाबी और सफेद रंग में खिलते हैं. कचनार की जड़ें, तना, पत्तियां, फूल और बीज सभी लाभकारी पोषक तत्वों और औषधीय पदार्थों से भरे हुए हैं.
इतना ही नहीं बल्कि त्रेता युग में कचनार को अयोध्या का राज्य वृक्ष भी माना जाता था. कचनार के एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों की वजह से लोग इसे दवाई के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं.
25-30 किलोग्राम बना है गुलाल
मुख्य वैज्ञानिक एसके तिवारी ने खुलासा किया है कि कचनार के फूलों को पीसने और अलग-अलग सॉल्वैंट्स का टेस्ट करने के बाद, इससे एक सुंदर गुलाबी रंग का गुलाल मिला है. इस सफलता के साथ, एनबीआरआई ने हर्बल टैल्कम पाउडर और खुशबू के साथ फॉर्मूलेशन को बढ़ाया. इससे लगभग 25-30 किलोग्राम कचनार गुलाल का बना है.
कई रंग का है हर्बल गुलाल
ये हर्बल गुलाल गुलाबी, लाल, पीले और हरे रंग में तैयार किया गया है. एनबीआरआई का लक्ष्य इस पर्यावरण-अनुकूल विकल्प को दूसरे लोगों तक पहुंचाना है. टेसू, गुलाब और गुलदाउदी जैसी पारंपरिक सामग्रियों के विपरीत, कचनार के फूलों के मिश्रण से बना हर्बल गुलाल काफी अलग है.
इतना ही नहीं कचनार-गुलाल के अलावा, एनबीआरआई ने गोरखनाथ मंदिर से इकठ्ठा किए गए फूलों का उपयोग करके एक और प्रयास किया है. इस मिश्रण में गुलाब, गेंदा और दूसरे फूल शामिल हैं. इनको सुखाने, पीसने और हर्बल सुगंध और टैल्कम के साथ मिलाने के बाद एक अच्छा गुलाल तैयार किया है.