करीब 6 हजार साल पहले महाभारत काल में पांडवों ने जब अपना अज्ञातवास गुजारा था, उस दौरान उन्होंने अपना कुछ समय हिमाचल प्रदेश में भी गुजारा था. इस बात के सबूत हिमाचल प्रदेश के हर जिले में देखने को मिलते हैं. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के राजनौण में भी पांडवों ने अपना समय बिताया था. बताया जाता है कि राजनौण में पांडवों ने चक्रव्यूह का निर्माण किया. इसके अलावा विशाल टियाले, पानी पीने के लिये नौण और अधूरे मंदिर का निर्माण किया जिसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं. इन्हें देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते यह ऐतिहासिक धरोहर विलुप्त होने के कागार पर पहुंच चुकी है. स्थानीय लोगों ने पुरातत्व विभाग से इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की गुहार लगाई है.
पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान सैकड़ों मंदिरों का निर्माण किया. पांडवों ने अपना समय हमीरपुर जिला के राजनौण में भी व्यतीत किया, जिसके प्रमाण राजनौण में देखने को मिलते हैं. राजनौण हमीरपुर जिले के सोहलासिंग धार में स्थित है जो कि पुरानी धरोहर है, जिसका दीदार करने के लिए सैंकड़ों लोग राजनौण पहुंचते हैं. पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान राजनौण में अर्जुन द्वारा चक्रव्यूह को समझने के लिए चक्रव्यूह को पत्थर की शिला पर उकेरा जोकि आज भी राजनौंण में मौजूद है.
पांडव काल से जुड़ा है राजनौण का इतिहास
इतिहासकारों का मानना है कि एक चक्रव्यूह कुरुक्षेत्र में है तथा दूसरा हमीरपुर जिला के राजनौंण में स्थित है. हमीरपुर कॉलेज में इतिहास के सहायक आचार्य राकेश कुमार शर्मा का कहना है कि राजनौण का इतिहास पांडव काल से है और इसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र की तरह हमीरपुर के राजनौण में भी चक्रव्यूह बना हुआ है. जिस वक्त अर्जुन ने यहां से चक्रव्यूह का ज्ञान लिया था तब वहां के पत्थर को उकेर दिया था जिसे आज भी देखा जा सकता है.
बता दें कि राजनौण में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान बिताए गए कुछ समय में अधूरे मंदिर का निर्माण किया था. जिसे मौजूदा समय में स्थानीय लोगों की मदद पूर्ण कर लिया गया है. राजनौण में एक विशाल नौण का निर्माण पांडवों द्वारा पीने के पानी के लिए किया गया था. जो आज भी इस स्थान पर देखा जा सकता है. मौजूदा समय मे इस नौण से आईपीएच विभाग द्वारा विभिन्न गांवों के लिए पेयजल मुहैया करवाया जाता है. यही नहीं राजनौण में पांडवों ने विशाल टियाले का भी निर्माण करवाया था जो अभी भी मौजूद है. मंदिर में आज भी पौराणिक काल की बहुत बड़ी बड़ी पत्थर की शिलाएं देखी जा सकती हैं. लेकिन यह ऐतिहासिक धरोहर अनदेखी के चलते विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी हैं. लोगों ने पुरातत्व विभाग से गुहार लगाई है कि ऐसी धरोहरों का जीर्णोद्धार किया जाए.
राजनौण में आए हुए स्थानीय निवासी बलविंदर सिंह गुलेरिया ने बताया कि पांडवों के समय में आधा अधूरा मंदिर बनाया हुआ था और अज्ञातवास के दौरान सबकुछ बना है. नौण के अलावा चक्रव्यूह बना हुआ था जो कि आज भी मौजूद है. उन्होंने बताया कि अज्ञातवास पूरा होने पर पांडव यहां से चले गए थे. नौण के साथ बने हुए चक्रव्यूह के बारे में उन्होंने बताया कि युद्ध में विजय पाने के लिए चक्रव्यूह के बारे में बताया गया है. उन्होंने मांग की है कि मंदिर को सहेजने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए.
राजनौण में मौजूद पवन कुमार ने बताया कि पांडवों ने जंगल के बीच में चक्रव्यूह की रचना की थी और महाभारत के समय में बनी यह आकृति यहां आज भी मौजूद है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि राजनौण स्थित इस धरोहर की देखरेख के लिए काम किया जाए. वहीं, एक अन्य सैलानी कुलदीप कुमार ने बताया कि राजनौण में मंदिर बना हुआ है और काफी समय से लोग मंदिर में आते हैं. बताया जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. उन्होंने बताया कि वो जालंधर में रहते हैं लेकिन इस मंदिर में माथा टेकने के लिए हर साल राजनौण आते हैं.
(हमीरपुर से अशोक राणा की रिपोर्ट)