मार्च आते ही अब सभी को होली का बेसब्री से इंतजार है. लेकिन होली से पहले भी इससे जुड़े कई छोटे-छोटे त्यौहार आते हैं. जैसे होलिका दहन और होलाष्टक. होलाष्टक फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होता है. माना जाता है कि होलाष्टक शुरू होने के बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं. होलाष्टक होली के 8 दिन पहले शुरू हो जाता है. ये आठ दिन किसी भी शुभ या मांगलिक कार्यों के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं.
10 मार्च से लगेगा होलाष्टक
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, होली से पहले के आठ दिन सभी ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है. इस दौरान जो भी शुभ कार्य किया जाता है वो अशुभ हो जाता है. इसके साथ उसका पूरा फल भी लोगों को नहीं मिलता. कहा जाता है कि उसका उल्टा प्रभाव देखने को मिल सकता है. इसबार होलाष्टक 10 मार्च से लग रहा है 17 मार्च को होलिका दहन के साथ ये खत्म भी हो जाएगा. ज्योतिष के मुताबिक, होलाष्टक 10 मार्च की सुबह 2:56 बजे से लगने वाला है. ये होलिका दहन वाले दिन खत्म होगा.
आठ दिन पहले से देनी शुरू की थी प्रहलाद को यातनाएं
मान्यता है कि हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद को इसी दिन से अलग-अलग यातनाएं देनी शुरू की थी. क्योंकि प्रहलाद भगवान विष्णु की पूजा करते थे और हिरण्यकश्यप उन्हें अपना शत्रु मानते थे. प्रहलाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप ने कई षड्यंत्र रचे, पहाड़ से कुदवाया, सांप से कटवाया, जहर दिया यहां तक की आग में भी जलवाया तब भी कोई फर्क नहीं पड़ा. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में न जलने का वरदान थे, जब वो खुद प्रहलाद को आग में लेकर बैठी, तो होलिका जल गई लेकिन प्रहलाद बच गए. इसलिए होली से पहले के आठ दिनों को अशुभ माना जाता है.