हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार हर साल होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. इस साल 17 मार्च, गुरुवार को होलिका दहन रात 12:57 के बाद किया जाएगा. वहीं 19 मार्च, शनिवार को वसन्तोत्सव या होली के तौर पर मनाया जाएगा.
ज्योतिषाचार्य डॉ विनोद बताते हैं कि पंचांग के अनुसार, 17 मार्च को दोपहर 1:01 मिनट के बाद से पूर्णिमा लग जायेगी, जो शुक्रवार को अपराह्न 12.51 बजे तक रहेगी. शुक्रवार को उदया तिथि में पूर्णिमा मिलने के कारण सारा दिन पूर्णिमा मान्य होगी. होलिका दहन के बाद प्रतिपदा तिथि में होली मनायी जाती है. लेकिन इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन होने के चलते शुक्रवार 18 मार्च को होली नहीं मनाई जा सकती. इस दिन स्नान दान की पूर्णिमा मनाई जाएगी. इसके अगले दिन 19 मार्च यानि शनिवार को चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को होली मनायी जायेगी. यही शास्त्र संगत भी बताया गया है.
बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाते हैं त्योहार
इस त्योहार को बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाते हैं. बसंत ऋतु में प्रकृति में फैली रंगों की छटा को ही रंगों से खेलकर वसंत उत्सव होली के रूप में दर्शाया जाता है. रंगवाली होली से एक या दो दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है.
राशि के अनुसार खेलें होली
ज्योतिषाचार्य डॉ विनोद बताते हैं कि वस्तुतः रंगों का हमारे जीवन में विशेष स्थान होता है. ये जितना सकारात्मक प्रभाव डालते हैं उतना ही नकारात्मक भी. इसलिए ज्योतिषशास्त्र हो या वास्तुशास्त्र हर जगह रंगों का चयन बहुत ही सोच-समझकर करने के लिए बताया गया है. अगर अपनी राशि अनुसार रंगों का प्रयोग किया जाए तो ग्रह दोष अपने आप ही खत्म होने लगते हैं.
राशि और रंगों का मेल
मेष और वृश्चिक इन दोनों ही राशियों का स्वामी मंगल है और मंगल का रंग लाल है. इसलिए इन दोनों ही राशि वालों को होली के दिन लाल रंग के गुलाल से होली खेलनी चाहिए. आप चाहें तो गुलाबी रंग से भी होली खेल सकते हैं.
वृषभ और तुला इन दोनों ही राशियों के स्वामी शुक्र है जिन्हें भोर का तारा या चमकता तारा भी कहा जाता है. शुक्र का रंग सफेद और गुलाबी बताया गया है. होली पर सफेद रंग से होली खेलना संभव नहीं है. इसलिए आप सिल्वर रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा गुलाबी रंग से भी होली खेल सकते हैं.
मिथुन और कन्या राशि के स्वामी ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध ग्रह हैं. बुध का रंग हरा माना गया है. ऐसे में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए और जीवन में सुख-शांति बनी रहे, इसके लिए इन दोनों राशि वालों को हरे रंग से होली खेलनी चाहिए.
कर्क राशि वालों के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं.चंद्रमा का रंग सफेद है. इसलिए कर्क राशि के लोग सिल्वर कलर से होली खेल सकते हैं. लेकिन चूंकि इस रंग में बहुत अधिक केमिकल मिला होता है. इसलिए आप चाहें तो किसी भी रंग को दही में मिलाकर होली खेल सकते हैं.
सिंह राशि वालों के ग्रह स्वामी सूर्य देव हैं. सूर्य का रंग नारंगी है. इसलिए होली पर सिंह राशि वालों को भी पीले या नारंगी रंग के गुलाल से होली खेलनी चाहिए.
धनु और मीन इन दोनों ही राशियों के स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं और ज्योतिष शास्त्र में गुरु का रंग पीला बताया गया है. इसलिए इन दोनों ही राशि के लोगों को होली पर पीले रंग से होली खेलनी चाहिए. इससे आपके जीवन में शुभता आएगी.
मकर और कुंभ इन दोनों राशि के लोगों के स्वामी ग्रह शनि देव हैं. शनि का रंग काला और नीला बताया गया है. ऐसे में होली पर आप शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए और हर तरह से ग्रह दोष से छुटकारा पाने के लिए नीले रंग से होली खेल सकते हैं.
(रौशन जायसवाल की रिपोर्ट)