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Holi Trip 2022: राधा-कृष्ण के गढ़ में मनाएं होली का त्योहार, दिल्ली से ढ़ाई-तीन घंटे की दूरी पर हैं ये धार्मिक जगहें

कहते हैं कि जीवन में एक बार मथुरा-वृंदावन की होली का आनंद अवश्य लेना चाहिए. और सबसे अच्छी बात तो यह है कि दिल्ली से ये जगहें ज्यादा दूर भी नहीं हैं. तो देर किस बात की, आज गुड न्यूज़ टुडे के साथ जानिए होली के त्योहार के लिए मशहूर धार्मिक जगहों के बारे में, जहां की ट्रिप आप प्लान कर सकते हैं.

Representational Image (Photo: Flickr) Representational Image (Photo: Flickr)
हाइलाइट्स
  • होली पर मिल रहा है लंबा वीकेंड

  • ब्रजधाम में मनाएं होली का त्योहार

हर दिल को खुशियों से भरने वाला होली का त्योहार इस साल 18 मार्च को मनाया जा रहा है. बता दें कि 18 मार्च को शुक्रवार है. इस कारण बच्चों से लेकर कामकाजी लोगों तक के लिए एक लंबा वीकेंड है. और इस लंबे वीकेंड पर अगर आप चाहें तो अपने परिवार या दोस्तों के साथ एक ट्रिप प्लान कर सकते हैं. 

ट्रिप के लिए आप ऐसी जगह जा सकते हैं जहां होली बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है. और इसके लिए ब्रज से अच्छी जगह भला क्या होगी. जी हां, इस बार आपके पास पूरा-पूरा मौका है कि आप राधा-कृष्ण के ब्रज में होली के रंग देखें और खेलें.

वैसे भी कहते हैं कि जीवन में एक बार मथुरा-वृंदावन की होली का आनंद अवश्य लेना चाहिए. और सबसे अच्छी बात तो यह है कि दिल्ली से ये जगहें ज्यादा दूर भी नहीं हैं. तो देर किस बात की, आज गुड न्यूज़ टुडे के साथ जानिए होली के त्योहार के लिए मशहूर धार्मिक जगहों के बारे में, जहां की ट्रिप आप प्लान कर सकते हैं.

भुला नहीं पाएंगे मथुरा के रंग: 

मथुरा में होली त्योहार का बहुत ही महत्व है. और इसका कारण बहुत स्पष्ट है. क्योंकि इस जगह से होली के त्योहार की जड़ें जुड़ी हुई हैं. मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है और यहां कृष्णभक्त बड़ी ही धूमधाम से यह त्योहार मनाते हैं. मथुरा के छोटे-बड़े सभी मंदिरों में होली का उत्सव होता है और कई दिनों तक चलता है. 

मथुरा में जो एक बार होली खेल लेता है वह जीवनभर इस अनुभव को नहीं भूल पाता है. बताया जाता है कि मथुरा में रंगारंग होली उत्सव दोपहर में विश्राम घाट से शुरू होकर होली गेट के पास समाप्त होता है. होली समारोह के लिए प्रमुख आकर्षण द्वारकाधीश मंदिर है. जहां भक्तजन नाचते-गाते हैं. 

वृंदावन में रंग जाएगा मन:

भगवान कृष्ण की क्रीड़ाभूमि के नाम से जाने जाने वाले वृंदावन को हिंदु धर्म में बहुत ही महत्व दिया गया है. यहां कृष्णभक्त साल भर आते-जाते रहते हैं. वृंदावन में होली समारोह का केंद्र बांके बिहारी मंदिर है. यहां होली की मस्ती एक सप्ताह तक चलती है. यहां फूलों की होली, विधवाओं की होली और रंगों का दंगल आदि होता है. इस कृष्ण-प्रेमी नगरी में आपको अलग-अलग रंगों में नहाए हुए लोग मिल जाएंगे.

बांके बिहारी मंदिर के अलावा गोपीनाथ मंदिर एक और प्रमुख आकर्षण है. यहां विधवाओं की होली होती है. इस महीने में आपको वृंदावन के आकाश में गुलाल के बादल दिखेंगे और लोग एक-दूसरे पर फूल बरसाते हैं. कहते हैं यहाँ सिर्फ तन नहीं रंगता बल्कि कान्हा लोगों के मन को भी रंग देते हैं. इसलिए जीवन में एक बार वृंदावन के रंग में न रंगे तो क्या किया.  

बरसाना में राधारानी के संग होली: 

भारत में होली के लिए मशहूर जगहों में से एक है बरसाना. यह राधारानी का धाम है और बरसाना में होली के उत्सव को लट्ठमार होली के नाम से भी जाना जाता है. लट्ठमार होली बहुत से लोगों को आकर्षित करती है. इस उत्सव में   पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें लट्ठ से मारती हैं. 

नंदगांव में भी लट्ठमार होली मनाई जाती है. लट्ठमार होली मुख्य होली के दिन से एक सप्ताह पहले खेली जाती है. कहते हैं कि बरसाना और नंदगांव में राधाकृष्ण का प्रेम देखने को मिलता है. ये जगहें उनके प्रेम की गवाह हैं. कान्हा जी को राधारानी के गोरे रंग से जलन थी और इसलिए वह उनपर रंग डालते थे ताकि उन दोनों का रंग एक हो जाए.

इसलिए अगर प्रेम देखना हो तो राधारानी के धाम में इस बार होली मनाएं. इसके अलावा उत्तर भारत में लगभग सभी कृष्ण मंदिरों में होली की धूम रहती है. इसलिए आप कहीं जाकर होली मना सकते हैं. बस जरूरत है तो अपना और दूसरों का ध्यान रखने की.