राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में छोटी सादड़ी में एक मां ने संसार की मोह-माया छोड़ दी है. वे त्याग के पथ पर चल दी हैं. प्रीति ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर ऐसा करने का फैसला लिया है. साथ ही वे अपनी कम उम्र कि बेटी के साथ दीक्षा लेने वाली हैं. मां ने घर और सांसारिक सुख और मोह-माया को त्यागकर दीक्षा लेने का फैसला किया है. छोटीसादड़ी में 21 अप्रैल से आयोजित होने वाले इस आयोजन में दीक्षा लेकर वे एक भिक्षु (मुमुक्षु) की तरह घर से विदा लेंगी.
मां-बेटी का लगा भक्ति में मन
मां और बेटी का भगवान की भक्ति में ऐसा मन लगा कि दोनों ने सांसारिक जीवन का मोह त्याग दिया है. साथ ही वे अब भागवती दीक्षा ग्रहण करेंगी. प्रीति और उनका बेटी ने सांसारिक मोह माया छोड़कर संयम के पथ पर चलने का फैसला ले लिया है. अब दोनों 21 अप्रैल को दीक्षा ग्रहण करेंगी.
जैन श्री संतों के सानिध्य में 40 साल की प्रीति और उनकी बेटी दीक्षा ग्रहण करने वाली हैं. दीक्षा लेने वाली सबसे कम उम्र की सारा अपनी मां जैसी ही हैं. 11 साल की सारा ने भी सांसारिक मोह-माया को त्याग दिया है और भक्ति के पथ पर बढ़ गई हैं. हालांकि, इसके लिए उनके घर वाले पहले राजी नहीं थे.
पहले परिवार वालों ने किया था मना
घरवालों ने पहले प्रीति को इसके लिए रोका. जब पहली बार प्रीति ने अपने विचार परिवार के साथ साझा किए तो परिवार वालों ने उम्र का हवाला दिया. परिवार वालों ने कहा कि अभी उनकी उम्र बहुत कम है. घरवालों ने उन्हें दीक्षा लेने से रोकने की कोशिश की. लेकिन प्रीति ने कठिन रास्तों की परवाह किए बिना संयम पथ पर आगे बढ़ने का निश्चय किया.
प्रीति बेन एवं सारा बेन संत कुलबोधी सुरेश्वर महाराज, साध्वी सौम्यारत्ना श्रीजी महाराज, संत पुनीतरसा महाराज की प्रेरणा से दीक्षा लेने वाली हैं. इसमें 21 अप्रैल को गृहांगन से प्रस्थान प्रातः 6 बजे होगा, दीक्षा शुभ मुहूर्त में प्रातः 7 बजे होगी.
(संजय जैन की रिपोर्ट)