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Jagannath Puri Temple: बैंक में करीब 600 करोड़ रुपये, 128 किलो सोना और 21 किलो चांदी से भरा हुआ है जगन्नाथ मंदिर, आखिरी बार 1978 में बनी थी रत्नों और आभूषणों की लिस्ट 

Jagannath Puri Temple: पिछले 45 साल से मंदिर के रत्न भंडार (खजाना) में रखे गए रत्नों और आभूषणों की लिस्ट नहीं बनाई है. आखिरी बार ये लिस्ट 1978 में बनाई गई थी.

Jagannath Puri Temple Jagannath Puri Temple
हाइलाइट्स
  • इससे पहले भी हो चुकी है इसपर बात 

  • मंदिर के खजाने की चाबियां गायब हैं

भगवान जगन्नाथ पुरी मंदिर अक्सर अपने खजाने को लेकर चर्चा में रहता है. हालांकि, पूरी तरह ये कोई नहीं जानता कि ये कितना समृद्ध है. जगन्नाथ मंदिर में सदियों से हीरे, सोना और चांदी चढ़ाई जा रही है. इन सबका क्या मूल्य हो सकता है ये किसी को नहीं था? इसका सबसे बड़ा कारण है कि पिछले 45 साल से मंदिर के रत्न भंडार (खजाना) में रखे गए रत्नों और आभूषणों की लिस्ट नहीं बनाई है. आखिरी बार ये लिस्ट 1978 में बनाई गई थी.

रत्न भंडार को खोलने की मांग 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 जून को उड़ीसा हाई कोर्ट (HC) में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. इसमें रत्न भंडार को इन्वेंट्री के लिए फिर से खोलने की मांग की गई थी. इसके जवाब में HC ने बुधवार को राज्य के स्वामित्व वाले जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को एक हलफनामा दायर करने के लिए नोटिस दिया है. 

टीओआई की रिपोर्ट की मानें, तो 1978 में जब लिस्ट बनाई गई थी तब जगन्नाथ मंदिर बैंक में 600 करोड़ रुपये का डिपॉजिट, करीब 128 किलो सोना, 221 किलो चांदी मिला था. इसके अलावा, कई बेशकीमती आभूषण भी थे. इसके अलावा, भगवान जगन्नाथ के नाम पर उड़ीसा में 60,426 एकड़ जमीन और दूसरे 6 राज्यों में 395.2 एकड़ जमीन दर्ज है.

इससे पहले भी हो चुकी है इसपर बात 

गौरतलब है कि इससे पहले भी विधानसभा में इसका लिखित जवाब दिया गया था. इसमें बताया गया था कि 1978 में तैयार की गई लिस्ट के अनुसार जब रत्न भंडार पिछली बार खोला गया था, तो इसमें 12,831 'भरी' सोना और 22,153 'भरी' चांदी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर) थी. हालांकि सरकार के पास इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि भंडार में रखे सामान की कीमत क्या है. इस जवाब में कहा गया था कि रत्न भंडार के अंदर कीमती सामानों की पूरी सूची मंदिर प्रशासन द्वारा 13 से 23 मई, 1978 के बीच तैयार की गई थी. भंडारगृह में महंगे पत्थरों और धातु के दूसरे कीमती सामानों के साथ 12,831 ग्राम सोने के आभूषण थे. इसी तरह 22153 ग्राम चांदी के साथ महंगे पत्थर, चांदी के बर्तन और दूसरे कीमती सामान मिले थे. 

मंदिर के खजाने की चाबियां गायब हैं

12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर के अंदर खजाने वाले कमरे की चाबियां कई साल से गायब हैं, और कोई नहीं जानता कि कैसे. अप्रैल 2018 में, पुरी के तत्कालीन जिला कलेक्टर, जो चाबियों के आधिकारिक प्रशासक हैं, ने कहा था कि उन्हें कहीं भी चाबियां नहीं मिली हैं. 

हालांकि, जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1955 कहता है कि रत्न भंडार को हर तीन साल में खोला जाना चाहिए. लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है. पिछली बार 1978 में खजाने में मौजूद वस्तुओं की जांच की गई थी.  हालांकि, 1978 की लिस्ट के गहनों का मूल्यांकन नहीं किया गया था. 2018 में, निरीक्षण के लिए रत्न भंडार को फिर से खोलने का प्रयास किया था. लेकिन यह पूरा नहीं हो सका क्योंकि अधिकारी चाबियों की अनुपलब्धता की वजह से अंदर वाले कमरे को खोलने में विफल रहे थे.

रत्न भंडार क्या है?

भगवान जगन्नाथ के पास भक्तों का दान किया गया और सदियों से राजाओं द्वारा दिया गया ढेर सारा सोना, चांदी और कीमती आभूषण हैं. जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं के ज्यादातर आभूषण और श्रृंगार प्राचीन मंदिर के 'रत्न भंडार' में रखे गए हैं. रत्न भंडार में 2 कक्ष हैं. बाहरी कक्ष में 3 कमरे हैं और इसमें वे आभूषण और आभूषण रखे हुए हैं जिनसे तीनों देवताओं को सजाया गया है. बाहरी कक्ष नियमित रूप से खोला जाता है और त्योहारों के अवसर पर पुजारियों द्वारा आभूषण निकाले जाते हैं. 

बाहरी कक्ष में तीन चाबियां हैं. एक चाबी पुरी राजा, गजपति महाराज के पास रहती है, एक चाबी मंदिर प्रशासन के अधिकारियों (सरकार) के पास रहती है, और एक चाबी मंदिर के पुजारी 'भंडार मेकप' के पास रहती है जो खजाने का प्रभारी होता है.

2018 में, खजाना कक्ष के आंतरिक कक्ष की सुरक्षा और स्थायित्व को लेकर चिंता थीं. आंतरिक कक्ष दशकों से नहीं खोला गया है. जब बाहरी दीवार पर दरारें देखी गईं और मरम्मत करवाने की जरूरत महसूस हुई, तो कहा गया कि आंतरिक कक्ष की चाबियां मिली नहीं हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, आंतरिक कक्ष को खोलने के लिए 3 चाबियों के एक सेट की जरूरत होती है. 

आंतरिक कक्ष से जुड़े हैं कई मिथक और रहस्य 

1985 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कुछ मरम्मत के काम के लिए जगन्नाथ मंदिर के आंतरिक कक्ष को खोलने की कोशिश की थी. हालांकि, तीन बंद दरवाजों में से केवल 2 ही खोले जा सके. कुछ रिपोर्टों दावा किया गया है कि दूसरा दरवाजा खोलने के बाद अजीब सी फुसफुसाहट की आवाजे सुनाई दी थी जिसकी वजह से उसे खोलने का प्रयास छोड़ दिया गया था. मंदिर के पुजारी और सेवक, जिनके पद वंशानुगत हैं, मंदिर की स्थापना के बाद से कई पीढ़ियों से चले आ रहे हैं, उनका मानना ​​है कि आंतरिक कक्ष खोलने से कयामत और आपदा आएगी. रत्न भंडार को लेकर बहुत सारी मान्यताएं और मिथक हैं.