
ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी का जगन्नाथ मंदिर देश-दुनिया में मशहूर है. सबसे ज्यादा मशहूर है यहां का प्रसाद. और अब भगवान जगन्नाथ के प्रसाद को और खास बनाने की पहल शुरू की गई है. भगवान जगन्नाथ के 'महाप्रसाद' को केमिकल-फ्री बनाने के लिए, ओडिशा सरकार ने जैविक चावल और सब्जियां उपलब्ध कराने के लिए एक खास पहल शुरू करने का प्रस्ताव रखा है. इस विशेष परियोजना को 'अमृत अन्न' के नाम से शुरू करने का प्रस्ताव है और जगन्नाथ मंदिर के सेवकों ने इस पहल का स्वागत किया है.
कृषि विभाग के साथ हुई मीटिंग
इस संबंध में बुधवार को कृषि विभाग के मुख्यालय कृषि भवन में एक कंसल्टेशन मीटिंग आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता कृषि एवं किसान अधिकारिता सचिव अरबिंद पाधी ने की, जो श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक के भी प्रभारी हैं. आपको बता दें कि यह मंदिर ओडिशा सरकार के कानून विभाग के अंतर्गत आता है.
महाप्रसाद को केमिकल-फ्री बनाने के लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है. श्री मंदिर के महाप्रसाद में जैविक चावल और सब्जियों का इस्तेमाल करने के निर्णय का सुअरा-महासुअरा निजोग (मंदिर में सेवकों की एक श्रेणी) और मंदिर प्रशासन ने स्वागत किया है. सुअर-महासुअर निजोग भगवान जगन्नाथ का महाप्रसाद तैयार करते हैं.
OMFed करता है घी की आपूर्ति
मंदिर प्रशासन के सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में, चावल, सब्जियां, दालें और अन्य सामान मुख्य रूप से स्थानीय बाजार से खरीदे जाते हैं. मंदिर को घी की आपूर्ति राज्य के स्वामित्व वाली ओएमएफईडी (ओडिशा मिल्क फेडरेशन) करती है और खुले बाजार से घी खरीदकर इस्तेमाल करने पर बैन है.
शुरुआत में, इस 'अमृत अन्न' महाप्रसाद में 'कालाजीरा', 'पिंपुडीबासा', 'जुबारजा' और ओडिशा में उत्पादित अन्य जैविक चावल किस्मों का उपयोग किया जाएगा. इनमें से कालाजीरा चावल पहले ही भौगोलिक संकेत (GI) टैग हासिल कर चुका है. जैविक तरीके से चावल का उत्पादन करते समय, गोमूत्र, गाय के गोबर और अन्य जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे राज्य में गाय की आबादी के संरक्षण और बढ़ोतरी में भी मदद मिल सकती है.