इस साल जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर को है. यह त्योहार भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की जयंती का प्रतीक है. यह भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन पड़ता है. इस वर्ष भगवान कृष्ण का 5250वां जन्मदिन है. भक्त इस दिन को उपवास रखकर और भगवान कृष्ण से उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करके मनाते हैं. शुभ मुहूर्त, शहर अनुसार समय, पूजा सामग्री, परंपराएं और त्योहार के बारे में अधिक जानने के लिए स्क्रॉल करें.
इस वर्ष, जन्माष्टमी लगातार दो दिन 6 और 7 सितंबर को पड़ेगी. द्रिक पंचांग के अनुसार, निशिता पूजा का समय 6 सितंबर को रात 11:57 बजे से 7 सितंबर को सुबह 12:42 बजे तक रहेगा. इसी बीच, अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी. 6 सितंबर को दोपहर 3:37 बजे और 7 सितंबर को शाम 4:14 बजे समाप्त होगा. रोहिणी नक्षत्र तिथि 6 सितंबर को सुबह 9:20 बजे से 7 सितंबर को सुबह 10:25 बजे तक है.
शहर अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी का समय:
12:10 am 7 सितंबर से 12:56 am,7 सितंबर - पुणे
11:57 pm,6 सितंबर से 12:42 am,7 सितंबर - नई दिल्ली
11:44 pm बजे, 6 सितंबर से 12:31am,7 सितंबर - चेन्नई
12:02am, 7 सितंबर से 12:48am, 7 सितंबर - जयपुर
11:51pm, 6 सितंबर से 12:38 am, 7 सितंबर - हैदराबाद
11:58 pm,6 सितंबर से 12:43am, 7 सितंबर - गुरुग्राम
11:59 pm,6 सितंबर से 12:44 am,7 सितंबर - चंडीगढ़
11:12pm, 6 सितंबर से 11:58pm,6 सितंबर - कोलकाता
12:14 am, 7 सितंबर से 01:00 am, 7 सितंबर - मुंबई
11:55pm, 6 सितंबर से 12:41 am, 7 सितंबर - बेंगलुरु
12:15 am,7 सितंबर से 01:01am, 7 सितंबर - अहमदाबाद
11:56pm, 6 सितंबर से 12:42 am, 7 सितंबर - नोएडा
किस प्रकार मनाएं किस प्रकार मनाएं जन्माष्टमी का पर्व ?
- प्रातःकाल स्नान करके आज के व्रत या पूजा का संकल्प लें
- दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें , सात्विक रहें
- मध्यरात्रि को भगवान् कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रक्खें
- उस प्रतिमा को पहले दूध से ,फिर दही से ,फिर शहद से ,फिर शर्करा से और अंत में घी से स्नान करायें
- इसी को पंचामृत स्नान कहते हैं, इसके बाद जल से स्नान कराएँ
- ध्यान रक्खें की अर्पित की जाने वाली चीज़ें शंख में डालकर ही अर्पित की जायेंगी
- तत्पश्चात पीताम्बर ,पुष्प और प्रसाद अर्पित करें
- इसके बाद भगवान को झूले में बैठाकर झूला झुलायें
- झूला झुलाकर प्रेम से अपनी कामना कहें
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के समय के निर्धारण का नियम क्या है ?
- भगवान् कृष्ण का जन्म वृष लग्न और वृष राशी में हुआ था और नक्षत्र था - रोहिणी
- अतः जन्म का उत्सव इसी काल में मनाया जाता है
- इस बार अष्टमी 06 सितम्बर को दोपहर 03.38 आरम्भ होगी
- यह 07 सितम्बर को सायं में 04.14 पर समाप्त होगी
- रोहिणी नक्षत्र पूरी रात्रि विद्यमान रहेगा
- इस बार श्रीकृष्ण की पूजा का समय मध्यरात्रि 11.56 से 12.42 तक होगा
- इसी अवधि में श्रीकृष्ण का जन्म होगा , जन्मोत्सव मनाया जाएगा
क्या कर सकते हैं उपाय
अगर संतान सम्बन्धी किसी भी समस्या से परेशान हों तो जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को बांसुरी और पीला वस्त्र अर्पित करें.