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Kailash-Mansarovar Yatra: चीनी वीजा की नहीं पड़ेगी जरूरत! अब भक्त आसानी से कर सकेंगे कैलाश-मानसरोवर की यात्रा, दर्शन के लिए खोजा गया नया रास्ता 

Kailash-Mansarovar Darshan: पुरानी लिपुलेख चोटी से 'कैलाश दर्शन' कैलाश-मानसरोवर यात्रा का एक विकल्प हो सकता है. कैलाश-मानसरोवर यात्रा दिल्ली से चार से पांच दिनों में पूरी की जा सकती है.

कैलाश-मानसरोवर कैलाश-मानसरोवर
हाइलाइट्स
  • 2019 में हुई थी आखिरी बार यात्रा 

  • पुरानी लिपुलेख चोटी हो सकती है अच्छा विकल्प 

अब भारतीयों को कैलाश पर्वत के दर्शन करने में आसानी होगी. इसके लिए उत्तराखंड सरकार एक नए रास्ते की तलाश कर रही है. दरअसल, कैलाश-मानसरोवर यात्रा कई साल से निलंबित थी, लेकिन अब उत्तराखंड सरकार तीर्थयात्रियों को पुराने लिपुलेख शिखर से भगवान शिव के निवास स्थान माने जाने वाले कैलाश पर्वत की एक झलक देने के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाश रही है. यह चोटी तिब्बत के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रे के पश्चिमी किनारे पर स्थित है. यह समुद्र तल से लगभग 17,500 फीट की ऊंचाई पर है.

2019 में हुई थी आखिरी बार यात्रा 

लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा आखिरी बार 2019 में आयोजित की गई थी. हालांकि यात्रा इस साल फिर से शुरू हुई, लेकिन इसमें वीजा के नियमों को काफी कड़ा किया गया था. इसके अलावा, ये यात्रा चीन से होकर जाती थी जो जिसमें लगातार खर्चा बढ़ता जा रहा था. इसी से बचने के लिए तीर्थयात्रियों के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाशने का काम किया गया.

जोरों से चल रहा है काम 

धारचूला उप-विभागीय मजिस्ट्रेट देवेश शाशनी ने पीटीआई से कहा, "पर्यटन विभाग के अधिकारियों, जिला अधिकारियों, साहसिक पर्यटन विशेषज्ञों और सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों की एक टीम ने हाल ही में पुरानी लिपुलेख चोटी का दौरा किया, जहां से भव्य कैलाश पर्वत का स्पष्ट दृश्य दिखाई देता है. इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि इस स्थान को धार्मिक पर्यटन के रूप में कैसे विकसित किया जा सकता है.”

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार इन साइटों का दौरा करने वाली टीम के सदस्य कीर्ति चंद ने पुष्टि की कि वे मार्ग को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में भागीदार हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "हमने इन स्थानों का दौरा किया और तीर्थयात्रियों के सामने आने वाली समस्याओं की समीक्षा की. इसके लिए अब हम उत्तराखंड सरकार को एक रिपोर्ट सौंप रहे हैं.”

टीम अपनी रिपोर्ट के साथ इलाके की तस्वीरें भी जमा कर रही है. उन्होंने कहा, "पुराने लिपुलेख दर्रे से कैलाश पर्वत की हवाई दूरी सिर्फ पचास किलोमीटर है और दृश्य बहुत साफ है."

पुरानी लिपुलेख चोटी हो सकती है अच्छा विकल्प 

अधिकारियों ने कहा कि पुरानी लिपुलेख चोटी से 'कैलाश दर्शन' कैलाश-मानसरोवर यात्रा का एक विकल्प हो सकता है. कैलाश-मानसरोवर यात्रा दिल्ली से चार से पांच दिनों में पूरी की जा सकती है. जबकि एक तीर्थयात्री सड़क मार्ग से धारचूला और बूढ़ी के माध्यम से नाभीढांग तक यात्रा कर सकता है, बचे हुए दो किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी होगी क्योंकि चढ़ाई काफी मुश्किल है. 

कैसे हो सकेगी यात्रा तय?

जिला पर्यटन अधिकारी कृति चंद ने पीटीआई के हवाले से कहा, "हमारी टीम को व्यास घाटी में धार्मिक पर्यटन की संभावना पर एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था, जिसके लिए हमने पुरानी लिपुलेख चोटी, नाभीढांग और आदि कैलाश क्षेत्र का दौरा किया. एक स्नो स्कूटर तीर्थयात्रियों को उस चोटी तक ले जा सकता है जो समुद्र तल से 19,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और लिपुलेख दर्रे से 1,800 मीटर की दूरी पर है." बीआरओ ने चोटी के बेस तक सड़क बनाई है. 

अभी कैसे की जाती है यात्रा?

वर्तमान में, किसी तीर्थयात्री को दर्शन करने के लिए चीनी वीजा की जरूरत होती है. इस साल यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 1 मई से शुरू हुए हैं. हालांकि, चीन ने इस साल यात्रा के लिए नियम कड़े कर दिए हैं.