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Holi 2025: रंगभरी एकादशी से पहले काशी विश्वनाथ और मथुरा के लड्डु गोपाल भेजेंगे एक-दूसरे को रंग और उपहार

श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा से बाबा विश्वनाथ को अबीर, गुलाल, रंग, आदि अर्पित किए जाएंगे और इसी प्रकार श्री काशी विश्वनाथ धाम से भगवान लड्डू गोपाल के लिए भस्म, अबीर-गुलाल, वस्त्र और चॉकलेट आदि भेंट किए जाएंगे.

Kashi Vishwanath and Laddu Gopal Kashi Vishwanath and Laddu Gopal

इस बार की होली पर कुछ अनोखा होने जा रहा है. मथुरा में विराजमान लड्डू गोपाल और काशी के बाबा विश्वनाथ, दोनों के लिए ही यह होली बहुत अनूठी होगी. बताया जा रहा है कि होली पर्व पर इस बार दोनों पवित्र धामों के बीच धार्मिक आदान-प्रदान किया जाएगा. श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा से बाबा विश्वनाथ को अबीर, गुलाल, रंग, आदि अर्पित किए जाएंगे और इसी प्रकार श्री काशी विश्वनाथ धाम से भगवान लड्डू गोपाल के लिए भस्म, अबीर-गुलाल, वस्त्र और चॉकलेट आदि भेंट किए जाएंगे.

रंगभरी एकादशी से पहले जाएगी भेंट 
होली के पर्व पर रंगभरी एकादशी से पहले भगवान विश्वनाथ द्वारा मथुरा में विराजमान लड्डू गोपाल को और भगवान लड्डू गोपाल द्वारा श्री विश्वेश्वर महादेव को परस्पर उपहार सामग्री भेंट की जाएगी. इस संबंध में मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान मथुरा के सचिव कपिल शर्मा और गोपेश्वर चतुर्वेदी जी से बातचीत की है. श्री कृष्ण जन्मस्थान के अधिकारियों ने भी इस विचार का सहर्ष स्वागत एवं समर्थन किया. विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विश्व भूषण द्वारा यह जानकारी दी गई कि 6 मार्च को दोनों मंदिरों के प्रबंधन द्वारा ईमेल के माध्यम से परस्पर अनुरोध एवं प्रस्ताव प्रेषित किए गए. 

दोनों पवित्र धामों के बीच यह धार्मिक आदान-प्रदान किया जाएगा. कृष्ण जन्मस्थान मथुरा से बाबा विश्वनाथ को अबीर, गुलाल, रंग, आदि अर्पित किए जाएंगे, और इसी प्रकार श्री काशी विश्वनाथ धाम से भगवान लड्डू गोपाल के लिए भस्म, अबीर-गुलाल, वस्त्र और चॉकलेट आदि भेंट किए जाएंगे. श्री कृष्ण और शिव भक्ति की दो प्रमुख सनातन धारा को जोड़ने वाला यह आयोजन सनातन धर्म की परंपराओं को और समृद्ध करेगा. मथुरा और काशी दोनों ही मोक्षदायिनी नगरी हैं, और इन दो तीर्थस्थलों के बीच समन्वय और श्रद्धा का आदान-प्रदान एक अभिनव पहल है, जिसे इस वर्ष के रंगभरी एकादशी और होली पर्व में सम्मिलित किया जाएगा. 

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श्रीकृष्ण ने सुनाई थी राधारानी को कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार रंगभरी एकादशी की कथा भगवान कृष्ण ने राधा रानी को सुनाई थी, और तभी से यह पर्व मनाया जाता है. काशी विश्वनाथ धाम में भी रंगभरी एकादशी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जो न केवल स्थानीय महत्व रखता है, बल्कि इसका वैश्विक महत्व भी है. इस उपहार आदान-प्रदान के साथ, दोनों धामों के भक्तों को विशेष रूप से भगवान लड्डू गोपाल के रूप में बाल स्वरूप के भगवान और बाबा विश्वनाथ से आशीर्वाद प्राप्त होगा. इस अवसर पर दोनों पवित्र स्थलों से उपहार भेजते समय तथा परस्पर उपहार स्वीकार करते समय उत्सव भी किया जाएगा.