हिंदू पंचांग के मुताबिक खरमास का महीन 15 दिसंबर से शुरू हो रहा है. जो पूरे एक महीने तक रहेगा. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. आने वाले नए साल में 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन खरमास का महीना खत्म होगा. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक खरमास में शादी-विवाह पर पाबंदी होती है. इसके अलावा घर बनाना या खरीदना या कोई नया काम करने पर रोक होती है. आखिर खरमास के महीने में क्यों शुभ कामों पर रोक होती है. इसके पीछे क्या वजह है और इस महीने को खरमास क्यों कहते हैं? चलिए आपको खरमास से जुड़ी कथा और पाबंदियों तक के बारे में बताते हैं.
क्या है खरमास की कथा-
खरमास की कथा गधे से संबंधित है. संस्कृत में खर का मतलब गधा होता है और मास का मतलब महीना होता है. कथाओं के मुताबिक एक बार सूर्य देवता अपने रथ पर बैठकर ब्राह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे. इस दौरान उनके रुकने का मतलब धरती पर जनजीवन का रुक जाना था. इसलिए उनका रथ हमेशा चलता रहता था. लेकिन इस दौरान उनके घोड़े थक गए और उनको प्यास लगने लगी. इससे चिंतित होकर भगवान ने रथ को एक तालाब के किनारे रोक दिया और घोड़ों को आराम के लिए छोड़ दिया. इसी वक्त तालाब किनारे दो गधे घास चर रहे थे. भगवान ने दोनों गधों को रथ से जोड़ा और फिर परिक्रमा पर निकल पड़े. लेकिन गधे तो गधे होते हैं. उनकी रफ्तार घोड़ों के मुकाबले कम होती है. इसलिए रथ की रफ्तार भी धीमी हो गई. भगवान सूर्य ने किसी तरह से एक महीने का वक्त पूरा किया और तालाब के किनारे पहुंचे. इसके बाद उन्होंने गधों को मुक्त किया और घोड़ों को रथ से जोड़ा और फिर परिक्रमा पर निकले पड़े. इस तरह से हर साल में एक महीना खरमास का होता है.
खरमास के महीने में क्या करना चाहिए-
खरमास के महीने में शुभ कामों पर रोक होती है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि खरमास में हर काम अशुभ होता है. चलिए आपको बताते हैं कि खरमास में क्या-क्या करना चाहिए.
खरमास में क्या नहीं होता है-
खरमास के महीने में किसी भी तरह के शुभ काम पर रोक लगी होती है. चलिए आपको बताते हैं कि इस महीने में क्या-क्या नहीं करना चाहिए.
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