हिंदू धर्म में पूजा पाठ को बड़ा महत्व दिया गया है और रोज भगवान की पूजा को अनिवार्य बताया गया है. लोग इसका पालन भी करते हैं. लेकिन कई बार देखा गया है कि कुछ लोग हमेशा इस बात की शिकायत करते हैं कि वो पूजा तो कर रहे हैं लेकिन उन्हें पूजा का फल नहीं मिल रहा. दिन रात भगवान के नाम को भजते हैं लेकिन भगवान उनकी प्राथना नहीं सुन रहे. इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन एक बड़ा कारण पूजा के नियमों में गड़बड़ी होना भी है. लोग जाने अनजाने में भगवान को कुछ ऐसा चढ़ा देते हैं जो उन्हें प्रिय नहीं होता ऐसे में हो सकता है कि भगवान नाराज हो जाएं और पूजा का फल न मिले. इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि पूजा-पाठ करते समय आपको किन बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए.
इस तरह का हो पूजा आसन
आप पूजा किनकी करने जा रहे हैं उस हिसाब से आसन का चुनाव करें. पूजा शुरू करने से पहले देखें किआसन किस चीज का है किस रंग का है. क्योंकि अलग-अलग रंग के आसन का अपना अलग महत्व है. कोशिश करें कि कंबल या ऊन से बने आसन का ही प्रयोग करें. धन की देवी माता लक्ष्मी, माँ दुर्गा और हनुमान जी की पूजा करने जा रहे हैं तो लाल रंग के आसन का प्रयोग करें. अगर मंत्र सिद्धि की पूजा करनी है तो कुशा से बने आसन को श्रेष्ठ माना गया है.
इन जरूरी बातों का रखें ध्यान
पूजा शुरू करें उससे पहले देख लें कि पूजा घर में एक देवी या देवता की एक से ज्यादा मूर्ति न हो. पूजा के लिए जब दीपक जलाएं तो उसे कहीं भी रखने के बजाए सही जगह पर रखें. अगर दीपक तेल का है तो उसे बाईं तरफ और अगर दीपक घी का है तो उसे दाईं तरफ रखें. बाकी के पूजन सामग्री को बाईं तरफ ही रखें. पूजा स्थल पर जितने लोग मौजूद हैं वह सामने भगवान की तरफ मुंह करके बैठें. भूलकर भी पीठ दिखाते हुए न बैठें.
भगवान को क्या चढ़ाएं और क्या नहीं
भगवान गणेश को तुलसी, भगवान विष्णु को चावल और सूर्यदेव को बेल पत्र भूलकर भी न चढ़ाएं. बेलपत्र महादेव को काफी प्रिय है. इसलिए हमेशा भगवान शंकर को बेलपत्र चढ़ाएं वहीं गणेश जी को हरी दूर्वा, सूर्य भगवान को कनेर का फूल माता दुर्गा को लाल फूल आए विष्णु जी को तुलसी चढ़ाएं. कई लोगों की आदत होती है पूजा के बाद मूर्ति पर चढ़े सिंदूर को अपने माथे पर लगाने का. ऐसा भूलकर भी न करें. कभी भी दीपक से दीपक न जलाएं. पूजा करने के बाद भगवान से भूलचूक से हुई गलतियों के लिए क्षमा जरूर मांगे.