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Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas 2022: गुरु तेग बहादुर की शहादत की कहानी जानिए, जिनको हिंद दी चादर कहा जाता था

आज सिखों के 9वें गुरु तेज बहादुर की पुण्यतिथि है. साल 1675 में आज ही के दिन औरंगजेब ने दिल्ली के लाल किले के सामने चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर सिर कलम करवा दिया था, क्योंकि उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए मना कर दिया था.

गुरु तेग बहादुर गुरु तेग बहादुर
हाइलाइट्स
  • गुरु तेग बहादुर को कहा जाता था 'हिंद की चादर'

  • पिता ने नाम दिया था त्यागमल

सिखों के 10 गुरुओं में से 9वें गुरु तेग बहादुर की आज पुण्यतिथि है. 24 नवंबर, 1675 में उनकी मृत्यु हई थी. मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें जान के बदले अपना धर्म बदल कर इस्लाम कबूल करने के लिए कहा था, जिसके बाद उन्होंने हंसते-हंसते जान देना चुना था. औरंगजेब को बिलकुल पसंद नहीं था, कि कोई उसका हुकम को ना मानें, इसलिए उसने 24 नवंबर 1675 में दिल्ली के लाल किले के सामने चांदनी चौक पर गुरु तेग बहादुर सिर कलम करवा दिया था. तब आज के दिन को हर साल गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस (Guru Tegh Bahadur Martyrdom Day) के रूप में मनाया जाता है और उनकी शहादत को याद किया जाता है.

बता दें कि इतिहास के पन्नों में औरंगजेब को दूसरे धर्मों से द्वेष भावना से देखनेवाला और कठोर नैतिकवादी शब्दों से परिभाषित किया गया है. उससे पहले जो भी शासक रहे उन्होंने कला और साहित्य का न सिर्फ समर्थन किया था बल्कि कलाकारों का काफी सम्मान भी किया था.

गुरु तेग बहादुर को कहा जाता था 'हिंद की चादर'
धैर्य, वैराग्य और त्याग की मूर्ति कहे जाने वाले गुरु तेग बहादुर ने 20 सालों तक साधना की थी. गुरु नानक के सिद्धातों का प्रचार करने के लिए उन्होंने कश्मीर और असन की लंबी यात्रा की. उन्होंने अंधविश्वासों की आलोचना कर समाज में नए आदर्श स्थापित कए. उन्होंने आस्था, विश्वास और अधिकारी की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था. ऐसा भी माना जाता है कि उनकी शहादत दुनिया में मानव अधिकारियों के लिए पहली शहादत थी, इसलिए उन्हें सम्मान के साथ 'हिंद की चादर' कहा जाता है.

ऐसे मिल गया त्यागमल नाम
गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म बैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था. उनके पिता गुरु हरगोबिंद ने उन्हें त्यागमल नाम दिया था, लेकिन मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी की वजह से वे तेग बहादुर के नाम से मशहूर हो गए. तेग बहादुर का अर्थ होता है तलवार का धनी. गुरु तेग बहादुर को उनके भाई बुद्ध ने तीरंदाजी और घुड़सवारी में प्रशिक्षित किया था. पंजाब के बकाला में, गुरु तेग बहादुर ने लगभग 26 साल, 9 महीने, 13 दिनों तक ध्यान किया था. वह अपना ज्यादा से ज्यादा समय ध्यान करने में बीताते थे. उनकी रचनाओं में 116 शबद, 782 रचनाएं और 15 राग शामिल हैं.