बीजेपी सांसद मेनका गांधी का इस्कॉन संस्था पर सवाल उठाने वाला सोशल मीडिया पर खूब वीडियो वायरल हो रहा है. इसके बाद ये चर्चा हो रही है कि आखिर इस्कॉन क्या है? कैसे काम करता है? इसपर सवाल क्यों उठ रहे हैं? कैसे हुई थी इसकी स्थापना? चलिए इन सारे सवालों के जवाब जानते हैं. ISKCON का पूरा नाम International Society for Krishna Consciousness है. इसे हिंदी में अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन कहा जाता है. इसे हरे कृष्ण आंदोलन के तौर पर भी जाना जाता है. इस्कॉन का मकसद संपूर्ण मानव समाज में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार करना है.
अमेरिका में इस्कॉन की स्थापना-
इस्कॉन अमेरिका में रजिस्टर्ड संस्था है. दुनिया में पहला इस्कॉन मंदिर भारत में नहीं, बल्कि अमेरिका में स्थापित हुआ था. साल 1966 में न्यूयॉर्क शहर में श्रीकृष्णकृपा श्रीमूर्ति श्री अभय चरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने पहले इस्कॉन मंदिर का निर्माण कराया था. स्वामी प्रभुपाद भारत के कलकत्ता में पैदा हुए थे और उसके बाद अमेरिका चले गए थे.
ग्रुप से संचालिता होता है इस्कॉन-
इस्कॉन का कोई मालिक नहीं है. साल 1977 में इसके संचालन के लिए श्रीला प्रभुपाद ने एक ग्रुप बनाया था, जिसे गवर्निंग बॉडी कमीशन के नाम से जाना जाता है. इसकी बैठक हर साल पश्चिम बंगाल के मायापुरा में बैठक होती है और वोटिंग के जरिए प्रस्ताव पास किया जाता है. इस्कॉन का हर मंदिर अपना कामकाज खुद देखता है.
50 साल में इस्कॉन का प्रसार-
दुनिया में इस्कॉन का प्रसार तेजी से हुआ है. 50 साल में इस्कॉन दुनिया का एक प्रमुख धार्मिक संस्था बन गई है. दुनियाभर में इस्कॉन के 500 बड़े सेंटर, मंदिर और ग्रामीण समुदाय हैं. इससे जुड़े 100 शाकाहारी रेस्तरां हैं. इसके अलावा हजारों नामहट्टा या लोकल मीटिंग ग्रुप्स हैं. दुनियाभर में इस्कॉन के लाखों मंडली सदस्य हैं.
इस्कॉन गौड़ीय-वैष्णव संप्रदाय से संबंधित है, जो हिंदू संस्कृति में एक एकेश्वरवादी परंपरा है. इसमें भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की जाती है.
क्या करते हैं इस्कॉन के सदस्य-
इस्कॉन के सदस्य अपने घरों में भक्ति-योग का अभ्यास करते हैं और मंदिरों में पूजा करते हैं. ये योग सेमिनार, फेस्टिवल, पब्लिक जप और साहित्य वितरण के जरिए कृष्ण चेतना को बढ़ावा देते हैं. इस्कॉन सदस्यों ने स्कूल, कॉलेज, इको-विलेज, फ्री फूड डिस्ट्रिब्यूशन और दूसरे संस्थान खोले हैं.
इस्कॉन का मकसद-
इस्कॉन का मकसद जीवन के मूल्यों के असंतुलन को रोकना और दुनिया में वास्तविक एकता और शांति प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार करना है. इसका मकसद कृष्ण चेतना का प्रचार करना है और इसके सदस्यों को एक-दूसरे के साथ लाना है.
स्कूल चलाते हैं इस्कॉन मंदिर-
दुनिाय भर में इस्कॉन मंदिर वयस्क शैक्षिक कार्यक्रम चलाते हैं, इसके साथ ही बच्चों के लिए संडे स्कूल भी चलाते हैं. इस्कॉन के दो संबंद्ध कॉलेज भी हैं. ये भक्तिवेदांत कॉलेज बेल्जियम और हंगरी में हैं. दोनों कॉलेज सरकारी मान्यता प्राप्त बोर्डों की डिग्री देते हैं. हाल ही में इस्कॉन के सहयोगियों ने ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर कृष्णा अवंती स्कूलों की शुरुआत की है. यूनाइटेड किंगडम में सरकार की मदद से चलने वाला पहला वैदिक स्कूल है. भारत में भी इस्कॉन बच्चों के लिए स्कूल चलाता है. ये स्कूल यूपी के वृंदावन और पश्चिम बंगाल के मायापुरा में हैं.
फ्री भोजन की व्यवस्था करता है इस्कॉन-
हरे कृष्ण फूड फॉर लाइफ दुनिया का सबसे बड़ा शाकाहारी भोजन वितरण कार्यक्रम है, जो दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में रोजाना लाखों लोगों को भोजना परोसता है. साल 1972 में श्रीला प्रभुपाद ने कहा था कि इस्कॉन मंदिर के 10 मील के भीतर किसी को भी भूखा नहीं रहना चाहिए. उस समय इस्कॉन के भक्तों ने बड़े-बड़े शहरों में मुफ्त भोजनालय चलाया. भारत में इस्कॉन का फूड फॉर लाइफ प्रोग्राम अन्नामृता के नाम से जाना जाता है.
गौ सेवा इस्कॉन के कामकाज का अहम हिस्सा-
इस्कॉन जगह-जगह गौशालाएं चलाता है. गौशलाओं में गायों को स्वस्थ चारा खिलाया जाता है और उनकी देखभाल की जाती है. इस्कॉन का मानना है कि गाय की रक्षा करना सबसे बड़ा काम है. इस्कॉन का मानना है कि गाय धरती माता की प्रतिनिधि है.
भारत में इस्कॉन मंदिर-
भारत में सबसे पहले इस्कॉन मंदिर की स्थापना वृंदावन में की गई थी. इसकी स्थापना साल 1975 में हुई थी. इस मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. बैंगलोर का इस्कॉन मंदिर सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है इसकी स्थापना साल 1997 में की गई थी. नई दिल्ली में साल 1984 में इस्कॉन मंदिर की स्थापना की गई थी, जबकि मुंबई में साल 1978 में मंदिर बनाया गया था.
विवादों से भी रहा नाता-
इस्कॉन को लेकर कई विवाद भी जुड़े. इसी साल इस्कॉन ने अपने पुजारी अमोघ लीला दास पर बैन लगा दिया था. इसके अलावा इसपर धर्म के नाम पर ब्रेनवॉश का भी आरोप लगा था. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस्कॉन पर धर्मांतरण का आरोप लगाया था.
(गुड न्यूज टुडे चैनल को WhatsApp पर फॉलो करें)
ये भी पढ़ें: