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Mahashivratri 2025: जानिए भवनाथ मेले की कहानी.... यहां महाशिवरात्रि पर लगता है मिनी कुंभ

गिरनार पर 33 कोटि देवता, नवनाथ ओर 84 सिद्धपुरूषों का निवास है और इसीलिए हर साधु को जीवन में एक बार गिरनार की गोद में महाशिवरात्रि पर्व पर आकर मृगी कुंड में स्नान करना पड़ता है.

Mahashivratri 2025 Mahashivratri 2025

देवाधिदेव महादेव की पूजा और आराधना का सबसे बड़ा दिन यानी महाशिवरात्रि. स्कंद पुराण में कहा गया है कि महादेव शंकर ओर पार्वती का मिलन यही जूनागढ़ में हुआ था और तभी से महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि नागसाधु शिवपार्वती के मिलन के उत्सव को मनाते रहे है.

महाशिवरात्रि जूनागढ़ में हर साल मिनी कुंभ के रूप में मनाई जाती है और इसके पीछे भी एक कथा है. गिरनार पर 33 कोटि देवता, नवनाथ ओर 84 सिद्धपुरूषों का निवास है और इसीलिए हर साधु को जीवन में एक बार गिरनार की गोद में महाशिवरात्रि पर्व पर आकर मृगी कुंड में स्नान करना पड़ता है.

स्कंद पुराण में भवनाथ मेले के संबंध में एक कथा है. इस कथा के अनुसार, जब शिव और पार्वती आकाश में रथ पर यात्रा कर रहे थे, तो उनके दिव्य वस्त्र भवनाथ मंदिर के पास गिर गए. इसलिए इसे 'वस्त्र पातेश्वर' नाम से जाना जाता है.

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नवनाथ और 84 सिद्धों का निवास स्थान गिरनार
महाशिवरात्रि के दिन महापूजा के दौरान शंख ध्वनि के साथ नागा बाबाओं का जुलूस, मृगीकुंड में उनका स्नान, तथा गिरनार की तलहटी में शंख ध्वनि एक आध्यात्मिक अनुभव है. लोककथा के अनुसार मृगीकुंड में स्नान करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. 
नवनाथ और 84 सिद्धों का निवास स्थान गिरनार, भर्तृहरि, गोपीचंद और अश्वत्थामा जैसे सिद्धों का घर है और शिवरात्रि के दिन ये सिद्ध पुरुष मृगीकुंड में स्नान करने आते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि सिद्ध पुरुष इस कुंड में एक बार स्नान करते हैं और उसके बाद वे बाहर दिखाई नहीं देते. 

सदियों से लग रहा है यह मेला 
महाशिवरात्रि की ये परम्परा सदियों से चली आ रही है. लोक मेले के ये रंग और नागा साधुओं की भभूत की सुगंध और कठोर तप देखने पहुंचते लाखों लोग पुण्य का पिटारा भरकर जाते है. एक ओर मेले में धार्मिक परम्परा है तो दूसरी ओर आज की युवा पीढ़ी शिवजी के प्रति अपनी भक्ति को नया रंग भी दे रही है. प्रशासन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में "अघोरी म्यूजिक" के नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों की टोली को बुलाया गया. इसने शिवजी के भजन से पूरे माहौल को शिवमय बना दिया. अघोरी म्यूजिक का कहना है कि महाशिवरात्रि पर यहां लोगो के बीच आकर परफॉर्म करने से शिवजी को प्राप्त किए होने का अहसास मिलता है. 

(भार्गवी जोशी की रिपोर्ट)