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Kotputli Bhairu ji Lakhmi: 200 क्विंटल आटा, 100 क्विंटल चीनी, 30 क्विंटल घी.... JCB से महाप्रसाद की तैयारी

राजस्थान के कोटपूतली में भैरु बाबा मंदिर में महाप्रसाद बनाने के लिए थ्रेसर और जेसीबी का इस्तेमाल किया गया. मंदिर के लिए 551 क्विंटल महाप्रसाद तैयार किया गया है. इसमें 200 क्विंटल आटा, 100 क्विंटल खांड, 30 क्विंटल घी, 10 क्विंटल मावा और तीन क्विंटल काजू का इस्तेमाल किया गया. वहीं चूरमे को सेंकने के लिए 450 क्विंटल गोबर के कंडे का इस्तेमाल किया गया.

Kotputli Bhairu ji Lakhmi Fair Kotputli Bhairu ji Lakhmi Fair

हमारे समाज में धर्म और आस्था का खास महत्व है. इस दौरान कई अनोखे अंदाज भी देखने को मिलते हैं. एक ऐसा ही अंदाज राजस्थान के कोटपूतली में देखने को मिल रहा है, जहां लोग JCB मशीन, ट्रैक्टर टाली, थेसर और फावड़े की मदद से महाप्रसाद बनाते नजर आए. इस 551 किलो क्विंटल विशाल भोग को बनाने के लिए 200 क्विंटल आटा, 100 क्विंटल चीनी और 30 क्विंटल घी का इस्तेमाल किया गया.

JCB मशीन की मदद से बना महाप्रसाद-
आमतौर पर प्रसाद तैयार करने के लिए बड़ी-बड़ी कढ़ाहियों का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन राजस्थान के बहरोड़ जिले में श्री भैरुजी महाराज मंदिर में प्रसाद बनाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया गया है. इस मंदिर में 551 किलो क्विंटल चूरमा का भोग लगेगा. इसमें 30 क्विंटल से अधिक घी का इस्तेमाल किया जा रहा है.  महाप्रसाद को तैयार करने के लिए थ्रेसरों और जेसीबी की मदद ली गई. इसके साथ ही आसपास के गांव के सैकड़ों लोग इस महाप्रसाद को बनाने में लगे.

भैरू जी का लख्खी मेला की तैयारी-
भैरू जी का लख्खी मेला आज यानी 30 जनवरी से शुरू हो रहा है. इसके लिए 7 दिन पहले से ही बाटियां बननी शुरू हो गई थी. इसके लिए 200 मीटर लंबा बाटी सेंकने का जगरा तैयार किया गया है. इस काम में करीब 500 ग्रामीण जुटे हैं. बाटियां सिंकने के बाद कंप्रेसर से उनकी सफाई की गई और उसके बाद थ्रेसर से पीस कर चूरमे में जेसीबी से 130 क्विंटल चीनी और घी मिलाया गया.

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कैसे तैयार हुआ महाप्रसाद-
551 किलो क्विंटल चूरमा बनाने में 200 क्विंटल आटा, 100 क्विंटल खांड, 30 क्विंटल घी, 10 क्विंटल मावा और तीन क्विंटल काजू का इस्तेमाल किया गया. वहीं चूरमे को सेंकने के लिए 450 क्विंटल गोबर के कंडे का इस्तेमाल किया गया. दूध गर्म करने, घी गर्म करने और दाल को बनाने के लिए 10 भट्ठियों का इस्तेमाल किया गया. इन सभी चीजों को 2 जेसीबी, 15 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां, 2 थ्रेसर, 2 कंप्रेसर मशीन, फावड़े से मिक्स किया गया.

क्यों खास है मंदिर-
श्रीभैंरू जी महाराज का मंदिर कोटपूतली के कुहाड़ा गांव में अरावली की पहाड़ियों में है. ग्रामीणों के मुताबिक सोनगिरा पोषवाल प्रथम भैरुजी का भक्त था. पोषवाल भैरु बाबा की मूर्ति को कुहाड़ा गांव में स्थापित करना चाहता था. कहा जाता है कि भैरू ने स्वप्न में दर्शन देकर सोनगिरा से बड़े बेटे की बली मांगी. पोषवाल ने बेटे की बली दी और भैरू मूर्ति लेकर चल देता है. जिसके बाद भैरू बाबा बलिदान और परीक्षा से खुश होकर पोषवाल के पुत्र को जीवित कर देते हैं. सोनगिरा पोषवाल प्रथम और उसके पुत्र ने पंच पीरों के साथ कुहाडा गांव में मूर्ति स्थापना की. स्थापना दिवस पर जागरण, भण्डारे और मेले का आयोजन किया जाता है. यहां पंचदेव खेजडी वृक्ष आज भी मौजुद है. कहा जाता है कि जिस स्त्री को संतान सुख नहीं है, अगर वो मंडप में उपस्थित जड़ के नीचे से निकलती है तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है.

हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा-
भैरु बाबा मंदिर में मेले में हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाएगी. जिसके लिए मेले में हेलीकॉप्टर के लिए हेलीपैड तैयार किया गया है. प्रसाद बांटने के लिए ढाई लाख पत्तल-दोने, चाय-कॉफी के लिए 4 लाख कप मंगवाए गए हैं. मेले में पीने वाले पानी के लिए 15 वाटर टैंकर भी मौजूद रहेंगे. मेले में एम्बूलेंस, फायर ब्रिगेड तैनात रहते हैं और डॉक्टरों की टीमें भी मौजूद रहती हैं. पूरे कार्यक्रम की ड्रोन कैमरे से शूटिंग कराई जा रही है.

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