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Krishna Janmashtami Vrat Puja Vidhi: कृष्ण जन्माष्टमी का कर रहे हैं व्रत? जानिए क्या है इस दिन के लिए खास पूजा-विधि

कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास हिंदू धर्म के प्रमुख व्रतों में से एक है. इस दिन व्रत करने से कई मनोकामनाएं पूरी होती हैं. जन्माष्टमी के व्रत का हिंदू शास्त्रों में अत्यंत महत्व बताया गया है. ऐसे में, जरूरी है कि आप इस दिन के लिए पूजा विधि जान लें.

Krishna Janmashtami Krishna Janmashtami

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत (Krishna Janmashtami Vrat) हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.यह व्रत भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में रखा जाता है, जो भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस व्रत को रखने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और उसे भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. यह व्रत भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और रात में भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं. 

व्रत की शुरुआत संकल्प लेने से होती है, जिसे अगले दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने पर तोड़ा जाता है.दिनभर उपवास रखा जाता है और रात में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है. पूजा के दौरान ‘हरे राम हरे कृष्ण’ मंत्र का जप किया जाता है.

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत की पूजा-विधि 

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  • स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर के सामने व्रत का संकल्प लें. और फिर पूरा दिन व्रत करें.
  • मंदिर सजावट: संध्या समय से पहले घर के मंदिर को फूलों, दीपों और रंगोली से सजाएं. रात को भगवान कृष्ण की मूर्ति को नए वस्त्र पहनाएं और उन्हें आभूषणों से सजाएं. 
  • पूजा सामग्री: पूजा के लिए पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण), तुलसी के पत्ते, फल, मिठाई, धूप, दीप, चंदन, और फूल तैयार रखें.
  • अभिषेक: रात 12 बजे भगवान कृष्ण का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें. इसके बाद उन्हें चंदन, मौली, माला, और वस्त्र अर्पित करें.
  • मंत्र जाप: पूजा के दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ या ‘हरे कृष्ण हरे राम’ मंत्र का जाप करें.
  • आरती और भोग: अभिषेक के बाद भगवान कृष्ण की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं. भोग में पंचामृत, आटे की पंजीरी, और तुलसी के पत्ते डालकर मिठाई अर्पित करें
  • भजन-कीर्तन: रात भर भजन-कीर्तन करें और भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करें.
  • व्रत का पारण: रात 12 बजे के बाद लड्डू गोपाल की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करके आप व्रत खोल सकते हैं. या फिर अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें. भगवान कृष्ण को प्रसाद अर्पित करें और फिर स्वयं ग्रहण करें. 

कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के कुछ महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं:

  • ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
  • अन्न का त्याग: व्रत के दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए. फलाहार या दूध का सेवन किया जा सकता है.
  • संकल्प: व्रत का संकल्प सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद लिया जाता है.
  • पूजा: दिनभर भगवान श्रीकृष्ण के नाम का जप और पूजा करें. रात 12 बजे विशेष पूजा करें.
  • मंदिर दर्शन: इस दिन श्रीकृष्ण के मंदिर में जाकर दर्शन करना शुभ माना जाता है.
  • अपशब्दों से बचें: व्रत के दौरान किसी को अपशब्द नहीं कहने चाहिए.
  • दिन में न सोएं: व्रत रखने वालों को दिन में सोना नहीं चाहिए.
  • व्रत का पारण: व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद या रात 12 बजे के बाद करें.

नोट: यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है. सटीक जानकारी के लिए पंडित या ज्योतिष से संपर्क कर सलाह करें.