मथुरा, वृंदावन और बरसाना के लोगों का होली खेलने का अंदाज ही अलग होता है. यहां पर कहीं फूल की होली, कहीं रंग-गुलाल की, कहीं लड्डू तो कहीं लट्ठमार होली मनाने की परंपरा है. मंगलवार (28 फरवरी 2023) को बरसाना में धूमधाम से लट्ठमार होली खेली गई. इसको देखने के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचे हुए थे.
रवि और प्रीति योग
लट्ठमार होली के दिन रवि योग और प्रीति योग बना. रवि योग सुबह 07 बजकर 20 मिनट से लेकर अगले दिन 1 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक है. प्रीति योग 28 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 26 मिनट से 1 मार्च 2023 को शाम 05 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. प्रीति योग परस्पर प्रेम का विस्तार करता है.
प्रेम की भावना होती है जाग्रत
अगर वैवाहिक जीवन में विवाद चल रहा है या किसी का कोई झगड़ा आदि हुआ हो तो प्रीति योग में उनका समझौता करना चाहिए, इससे समस्त विवाद खत्म हो जाते हैं और प्रेम की भावना जाग्रत होती है. इस योग में किए गए कार्य से मान सम्मान की प्राप्ति होती है. रवि योग में सूर्य का प्रभाव तेज होता है. इसमें नए काम की शुरुआत करने से कामयाबी मिलती है.
भेजा जाता है निमंत्रण
लट्ठमार होली का निमंत्रण एक दिन पूर्व यानी फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को बरसाना से नंदगांव भेजा जाता है. फिर नंदगांव के हुरियारे यानी पुरुष बरसाना की महिलाओं से होली खेलने आते हैं. यहीं परंपरा अगले दिन यानी दशमी तिथि को नंदगांव में दोहराई जाती है. बरसाना में लट्ठमार होली में महिलाएं, जिन्हें हुरियारिन कहते हैं, लट्ठ लेकर हुरियारों को यानी पुरुषों को मजाकिया अंदाज में पीटती हैं. लट्ठमार होली में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. लट्ठमार होली में पुरुष सिर पर ढाल रखकर हुरियारिनों के लट्ठ से खुद का बचाव करते हैं. बरसाना की लट्ठमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.
लठमार होली की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नंद गांव में जब कृष्ण राधा से मिलने बरसाना गांव पहुंचे तो वे राधा और उनकी सहेलियों को चिढ़ाने लगे, जिसके चलते राधा और उनकी सहेलियां कृष्ण और उनके ग्वालों को लाठी से पीटकर अपने आप से दूर करने लगीं. तब से ही इन दोनों गांव में लट्ठमार होली का चलन शुरू हो गया. नंद गांव के युवक बरसाना जाते हैं तो खेल के विरुद्ध वहां की महिला लाठियों से उन्हें भगाती हैं और युवक इस लाठी से बचने का प्रयास करते हैं. अगर वे पकड़े जाते हैं तो उन्हें महिलाओं की वेशभूषा में नृत्य कराया जाता है. इस तरह से लट्ठमार होली मनाई जाते हैं.