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Christmas Tree: जानें क्रिसमस ट्री का क्या है इतिहास और महत्व ?

क्रिसमस के पर्व पर प्रभु ईसा का जन्मदिन सद्भाव व प्रेम के साथ पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस त्योहार में केक और गिफ्ट के अलावा एक और चीज का विशेष महत्व होता है, वह है क्रिसमस ट्री. इसे लोग रंग-बिरंगी रोशनी और खिलौनों से सजाते हैं.

क्रिसमस ट्री क्रिसमस ट्री
हाइलाइट्स
  • क्रिसमस का पर्व 25 दिसंबर को हर धर्म के लोग धूमधाम के साथ मानते हैं

  • क्रिसमस ट्री का इतिहास ईसाई धर्म से भी प्राचीन माना जाता है

क्रिसमस प्रभु ईसा मसीह के जन्म को याद करने के लिए हर साल 25 दिसंबर को पूरे विश्व में मनाया जाता है. ईसाई धार्मिक परंपराओं और प्रथाओं के साथ क्रिसमस मनाते हैं. भारत और दुनिया भर में क्रिसमस समारोह के लिए लोकप्रिय रीति-रिवाजों में चर्च में शामिल होना, घरों को सजाना, क्रिसमस ट्री लगाना, दोस्तों और परिवार के साथ मिलना, उपहारों का आदान-प्रदान करना और सांता क्लॉज का इंतजार करना शामिल है. हर साल क्रिसमस के पर्व पर लोग घर में क्रिसमस ट्री लगाते हैं. रंग-बिरंगी रोशनी और खिलौनों से इसे सजाते हैं. आइए आज क्रिसमस ट्री का इतिहास और महत्व के बारे में जानते हैं.

क्रिसमस ट्री को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार 16वीं सदी के ईसाई धर्म के सुधारक मार्टिन लूथर ने एक यात्रा शुरू की थी. वह 24 दिसंबर की शाम को एक बर्फीले जंगल से जा रहे थे, जहां उन्होंने एक सदाबहार के पेड़ को देखा. पेड़ की डालियां चांद की रोशनी से चमक रही थीं. इसके बाद मार्टिन लूथर ने अपने घर पर भी सदाबहार का पेड़ लगाया और इसे कैंडल से सजाया. इसके बाद बाद उन्होंने जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के सम्मान में भी सदाबहार के पेड़ को सजाया और इस पेड़ को कैंडल की रोशनी से जगमग किया. 

क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरू हुई
क्रिसमस ट्री से जुड़ी एक कहानी 722 ईसवी की भी है. कहा जाता है कि सबसे पहले क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरू हुई. एक बार जर्मनी के सेंट बोनिफेस को पता चला कि कुछ लोग एक विशाल ओक ट्री के नीचे एक बच्चे की कुर्बानी देंगे. इस बात की जानकारी मिलते ही सेंट बोनिफेस ने बच्चे को बचाने के लिए ओक ट्री को काट दिया. इसके बाद उसी ओक ट्री की जड़ के पास एक फर ट्री या सनोबर का पेड़ उग गया. लोग इस पेड़ को चमत्कारिक मानने लगे. सेंट बोनिफेस ने लोगों को बताया कि यह एक पवित्र दैवीय वृक्ष है और इसकी डालियां स्वर्ग की ओर संकेत करती हैं. मान्यता है कि तब से लोग हर साल जीसस के जन्मदिन पर उस पवित्र वृक्ष को सजाने लगे.

क्रिसमस ट्री का महत्व
क्रिसमस ट्री को जीवन की निरंतरता का प्रतीक माना जाता है. इसे ईश्वर की ओर से दिए जाने वाले लंबे जीवन के आशीर्वाद के रूप में देखा जाता रहा है. मान्यता थी कि इसे सजाने से घर के बच्चों की आयु लम्बी होती है. इसी वजह से हर साल क्रिसमस डे पर क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है. घर में क्रिसमस ट्री परिवार के सदस्यों के बीच रिश्तों को सौहार्दपूर्ण बनाता है, जिससे घर में तनाव नहीं होता है. साथ ही परिवार के सदस्य मिलजुलकर प्रेम से रहते हैं.वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने के लिए क्रिसमस ट्री एक अच्छा विकल्प है. मान्यता है कि इसे रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है. क्रिसमस ट्री का इतिहास ईसाई धर्म से भी प्राचीन माना जाता है. कहा जाता है कि ईसाई धर्म से पहले से साल भर हरा-भरा रहने वाले पेड़ को लोग अपने घरों में लगाते थे. क्रिसमस ट्री रखने से घर में बच्चों की सेहत ठीक रहती है, मानसिक तौर पर भी बच्चे स्वस्थ्य रहते हैं. मान्यता है कि क्रिसमस ट्री को मोमबत्ती से सजाने पर घर में बच्चों की सोच सकारात्मक होती है.