दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो बीमार न पड़ा हो. इंसान तो बीमार पड़ता ही है, धर्म ग्रंथों में उल्लेखित है कि जगत के नाथ भगवान जगन्नाथ भी ज्येष्ठ पूर्णिमा की भीषण गर्मी में अत्यधिक स्नान करने से बीमार हो गए थे. भगवान को बीमारी से राहत दिलाने के लिए औषधियुक्त काढ़ा पिलाया गया था. 15 दिनाें तक बीमार रहने के दौरान औषधियुक्त काढ़ा पिलाने से भगवान स्वस्थ हुए थे.
भगवान पड़े बिमार
जी हां भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ गए. दरअसल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि को भगवान जगन्नाथ को स्नान करवाने की परंपरा है. जिसके बाद वे बीमार हो जाते हैं. आराम के लिए 15 दिन तक जगन्नाथ मंदिरों के पट भी बंद कर दिए जाते हैं और उनकी सेवा की जाती है. ताकि वे जल्दी ठीक हो जाएं. जिस दिन वे पूरी तरह से ठीक होते हैं, उस दिन जगन्नाथ यात्रा निकलती है.
कैसे बीमार हो जाते है भगवान
जगन्नाथ भक्तों के अपार प्यार में भगवान इतना स्नान कर लेते हैं कि वो बीमार पड़ जाते हैं और वो भी पूरे 15 दिनों के लिए. भगवान जगन्नाथ अर्द्धरात्रि को बीमार होते हैं. इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग मन्दिर के पुजारी द्वारा लगाया जाता है. माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की लीलाएं मनुष्य जैसी हैं. वे मनुष्य रूप में ही रहते हैं. इसी कारण से मनुष्य पर लागू होने वाले सभी प्राकृतिक नियम उन पर भी लागू होते हैं. इसी वजह से वे बीमार हो जाते हैं.
15 दिन तक क्वारंटाइन हुए
बीमारी की वजह से मंदिर में इन 15 दिनों तक कोई भी घंटे आदि नहीं बजेंगे. यही नहीं अन्न का भी कोई भोग नहीं लगेगा. आयुर्वेदिक काढ़ा ही प्रसाद में रूप में अर्पित किया जाता है. जगन्नाथ धाम मंदिर में तो भगवान की बीमारी की जांच करने के लिए हर दिन वैद्य भी आते हैं. काढ़े के अलावा फलों का रस भी दिया जाता है. दिन में दो बार आरती से पहले भगवान जगन्नाथ को काढ़े का भोग लगाया जाता है.
भगवान को रोज शीतल लेप भी लगाया जाता है. बीमार के दौरान उन्हें फलों का रस, छेना का भोग लगाया जाता है और रात में सोने से पहले मीठा दूध अर्पित किया जाता है.
6 जुलाई को हो जाएंगे स्वस्थ
बता दें, भगवान 6 जुलाई को स्वस्थ हो जाएंगे और मंदिरों के पट खुल जाएंगे. इसके साथ ही भगवान के नव योवण रूप के भी दर्शन होंगे. उन्हें विशेष भोग लगाया जाएगा. 7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ श्री मंदिर से मौसी घर जाने के लिए भक्तों को दर्शन देंगे. यानी उस दिन जगन्नाथ यात्रा निकलेगी. रास्ते भर भक्तों के द्वारा हाथ से रस्सी के सहारे रथ खींचा जाता है और वहां नौ दिन रहेंगे.
(रघुनंदन पंडा की रिपोर्ट)