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Masik Shivratri 2022 date: इस दिन व्रत रखने से कुंवारे लोगों को मिलता है इच्छानुसार जीवनसाथी, जानिए पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

कहा जाता है कि इस दिन कुंवारे लोग अगर व्रत रखते हैं तो उन्हें उनकी इच्छा के अनुसार ही जीवनसाथी मिलता है. इसे शादीशुदा लोग भी रख सकते हैं. महादेव के प्रसन्न होने से उनके जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. माघ शिवरात्रि हर माह आती है.

Masik Shivratri Masik Shivratri
हाइलाइट्स
  • शिवरात्रि पर रात में जागरण करने और शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है

  • माघ की मासिक शिवरात्रि 30 जनवरी को है

हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. इस दिन अगर कोई व्यक्ति महादेव का व्रत रखता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. उसेक सभी काम बनते चले जाते हैं. शिवरात्रि यानी शिव की. शिवरात्रि पर रात में जागरण करने और शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन कुंवारे लोग अगर व्रत रखते हैं तो उन्हें उनकी इच्छा के अनुसार ही जीवनसाथी मिलता है. इसे शादीशुदा लोग भी रख सकते हैं. महादेव के प्रसन्न होने से उनके जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. माघ शिवरात्रि हर माह आती है. 

कब है माघ मासिक शिवरात्रि?  

हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ की मासिक शिवरात्रि 30 जनवरी को पड़ रही है. चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 30 जनवरी दिन को शाम 5 बजकर 28 मिनट से हो रहा है. यह तिथि अगले दिन यानि 31 जनवरी को दोपहर 02 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. बता दें, यह नए साल की दूसरी मासिक शिवरात्रि है. यूं तो भगवान शिव की पूजा के लिए कोई मुहूर्त नहीं देखा जाता है. लेकिन अगर आप रात में पूजा करना चाहते हैं, तो 30 जनवरी को रात 11 बजकर 38 मिनट से देर रात 12 बजकर 52 मिनट के बीच का शुभ मुहूर्त है.

कैसे करें पूजा?

शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा आधी रात को होती है. इस दिन अगर आप व्रत रख रहे हैं, तो नहा-धोकर सबसे पहले साफ़ कपड़े पहन लें. फिर मंदिर या घर में ही लाए हए शिवलिंग पर पंचामृत जिसमें गंगा जल, दूध, घी, शहद, दही को मिला लें और जलाभिषेक करें. साथ में शिवलिंग पर सिंदूर, चीनी, गुलाब जल आदि भी अर्पण करें.

जल चढ़ाते हुए शिव मंत्र का जाप करते रहें. शिवलिंग पर सबसे पहले चंदन लगाएं और धतूरा, बेल पत्र चढ़ाएं और धूप और दीपक जलाएं. बाद में महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा, शिव पुराण का जाप करें. घर में रुद्राक्ष की माला हो तो उससे जाप करें. आखिर में भगवान शिव का स्मरण करते हुए आरती करें और क्षमा याचना करके पूजा सम्पन्न करें. 

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