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MahaKumbh 2025: 41 साल से मौन, कुछ खाया भी नहीं, फ्री कराते हैं सिविल सर्विसेज की तैयारी... जानिए पयहारी मौनी महाराज के बारे में

Mouni Maharaj: प्रयागराज में संगम तट पर 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है. इसका समापन 26 फरवरी को होगा. इस बार महाकुंभ में संगम के तट पर पयहारी मौनी महाराज का तंबू लगा है. मौनी महाराज 41 साल से मौन हैं. ये बाबा कुछ खाते नहीं हैं. ये सिर्फ चाय पीकर जिंदा है. बाबा ने बीएससी की पढ़ाई की है और छात्रों को बिना कुछ बोले फ्री कोचिंग भी पढ़ाते हैं.

Mouni Baba Mouni Baba

महाकुंभ में एक से बढ़कर एक अनोखे संत और बाबा दिखाई दे रहे हैं. उनमें से मौनी बाबा भी एक हैं. बुंदेलखंड के महोबा के रहने वाले पयहारी मौनी बाबा के नाम से जाने जाते हैं. उनका तंबू भी संगम तट पर लगा है. जिसमें साधु-संत से ज्यादा छात्रों की तादाद है. वजह यह है  कि ये  ऐसे बाबा हैं, जो सुबह 4 बजे उठकर छात्रों के नोट्स तैयार करते हैं. दिनभर व्हाट्सएप पर पढ़ाते हैं. ये ही इनका हरि भजन है.

41 साल से मौन हैं बाबा-
41 सालों से पयहारी मौनी महाराज सिर्फ मौन ही नहीं है, बल्कि 40 सालों से कुछ खाया नहीं है. सिर्फ दूध की चाय ही उनकी खुराक है. पिछले  41 सालों से एक शब्द बाबा के मुंह से नहीं निकला है. ये बाबा कुछ खाते-पीते नहीं है. सिर्फ चाय पर जिंदा हैं. दिनभर की 10 चाय पर उनका शरीर चलता है. मौनी महाराज का असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है, वो प्रतापगढ़ के चिलबिला में शिवशक्ति बजरंग धाम से आये हैं. 

प्रसाद में चाय देते हैं बाबा-
मौनी महाराज चाय के शौकीन हैं. वो उनके पास आने वालों भक्तों को प्रसाद में भी चाय ही पिलाते हैं. चाय के अलावा मौनी महाराज को तेज रफ्तार बाइक चलाने का शौक है. हाईवे पर उनकी बाइक की रफ्तार 100 से कम नहीं होती है. बाबा 45 मिनट में प्रतापगढ़ से प्रयागराज अपनी बाइक से ही कुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचे हैं.

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सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करते हैं बाबा के छात्र-
जब हमारी टीम ने मौनी बाबा से बात की तो वह जवाब लिखकर बताते रहे और यही उनका तरीका भी है. छात्रों की भीड़ जब सामने बैठी  तो सारे सवालों के जवाब बाबा या तो लिख कर देते या फिर अपने नोट्स व्हाट्सएप के जरिए भेज देते. यही उनके पढ़ाने का तरीका है. बाबा ने ना जाने कितने छात्रों को सिविल सर्विसेज और प्रदेश पीसीएस में सफलता दिलाई है.

बाबा की बड़ी खूबी ये भी है कि वो सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को फ्री कोचिंग भी देते हैं. अब आप सोचेंगे कि मौन रहने वाले बाबा कोचिंग कैसे देते हैं? बाबा व्हाट्सएप के जरिये छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हैं और उनके लिए नोट्स भी बनाते हैं. ये नोट्स उनको उपलब्ध कराते हैं. मौनी महाराज बताते हैं कि हर साल उनके 2 से 3 स्टूडेंट्स सिविल सेवाओं में चयनित हो जाते हैं.

बायोलॉजी में बीएससी हैं मौनी बाबा-
मौनी महाराज शिक्षकों के परिवार से हैं. बायोलॉजी में बीएससी किया है. उनके पिता प्राचार्य थे. जिनकी मृत्यु के बाद उन्हें शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति भी मिली थी. लेकिन तब तक बाबा के हृदय में ईश्वर भक्ति की अलख जग चुकी थी. धीरे-धीरे उनका सांसारिकता से मोहभंग हो गया और उन्होंने संन्यास ले लिया. बाबा के लिए धर्म और आध्यात्म सेवा के लिए है. 

मौनी महाराज बताते हैं कि मौन रहने से ऊर्जा का संचय होता है और उनकी ऊर्जा विश्व कल्याण के काम आती है. मौनी महाराज ने एक ग्रंथ भी लिखा है, जिसका नाम 'धर्म कर्म मर्म सागर' है. ग्रंथ में जन्म से मृत्यु तक, सोने से जागने तक प्रत्येक कार्य के शास्त्र सम्मत नियम हैं. मौनी महाराज की पुस्तक प्रकाशित होने के लिए गई है, जो फरवरी तक प्रकाशित हो जायेगी. आप जब मौनी महाराज से मिलेंगे तो लगेगा कि सिर्फ चाय पर जीवित रहने वाले मौनी बाबा के अंदर इतनी ऊर्जा कैसे है? बिना बोले भी उनके हाव भाव सब कह जाते हैं.

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