

महाकुंभ की तैयारी पूरी हो गई है. श्रद्धालुओं के आगमन के लिए संगम नगरी तैयार है. महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है और इसका समापन 26 फरवरी को होगा. इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाएंगे. महाकुंभ में एक से बढ़कर एक साधु-संत पहुंच रहे हैं. महाकुंभ में एक बाबा ऐसे हैं, जिन्होंने घर छोड़कर संन्यास ले लिया है. लेकिन अपनी एंबेसडर कार को नहीं छोड़ा है. उन्होंने एंबेसडर कार को ही अपना आशियाना बना लिया है.
कौन हैं एंबेडसर कार वाले बाबा-
एंबेसडर कार वाले बाबा का नाम महंत राजगिरी है. महंत राजगिरी को टार्जन बाबा या कार वाले बाबा के नाम से भी लोग बुलाते हैं. महंत राजगिरी इंदौर से महाकुंभ में आए हैं. इस बाबा महाकुंभ में अपनी कुटिया डाल रखी है. बाबा के तंबू के पास एक भगवा रंग की पुरानी एंबेसडर कार खड़ी रहती है. ये कार चर्चा का विषय बनी हुई है.
बाबा का ठिकाना एंबेसडर कार-
इस बाबा ने एंबेसडर कार को अपना ठिकाना बना लिया है. यह कार महंत राजगिरी को 35-40 साल पहले दान में मिली थी. उसके बाद से ही बाबा का ठिकाना ये कार है. बाबा जहां भी जाते हैं, इस कार में ही जाते हैं.
कार में क्या है खास-
इस एंबेसडर कार की कुछ खासियत है. बाबा ने जुगाड़ से इसे अपने रहने के मुताबिक बना लिया है. एक पंखा बाहर की तरफ फिट है और अंदर पाइप से जुड़ा हुआ एक चेंबर है. बाबा ने इसमें मैकेनिक का दिमाग लगाकर इसे AC कार बना दिया है. इस कार के आगे दोनों हेडलाइट पर आंखें बना दी है और कार की छत को मचान बना दिया है, जो चलता फिरता पलंग है. जहां इच्छा हुई, गाड़ी लगाई और छत पर सो लिया.
यूं मोह माया को त्यागकर घर छोड़ चुके बाबा राजगिरी कहते हैं कि अपना कोई परिवार नहीं है बचपन में ही घर छोड़ दिया. लेकिन इस कार का मोह नहीं छोड़ पाए. कहते हैं कि यह 40 साल पुरानी एंबेसडर कार ऐसी है, जो जीवन के साथ ही जाएगी.
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