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Mahakumbh 2025: भगवान शंकर का सपना आया और छोड़ दिया गृहस्थ जीवन, 30 साल पहले बन गए महात्मा ॐ तत्सत, अब ई रिक्शा पर घूमकर देते हैं राम राज्य का उपदेश

संगम की रेती पर लगे कुंभ की रेती पर बिछाए गए चकर प्लेट की सड़क पर गाड़ियों की बीच केसरिया कलर का ई रिक्शा भी चलता नजर आता है. ये ई रिक्शा ऐसा है कि यह सिर्फ प्रयागराज में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होते हुए बिहार तक जाता है.

E riksha Wale Baba E riksha Wale Baba

संगम की रेती पर लगे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के गवाह साधु संत बन रहे हैं. इस मेले में साधुओं के अलग-अलग रंग के साथ अलग-अलग रूप भी हैं. लेकिन कुंभ मेले में आने वाले साधु संत के जीवन की अलग कहानी है. कोई अपनों से मिले दर्द की वजह से साधु बन गया. तो कोई दैनिक जीवन छोड़कर भगवान की शरण में आकर संत बन गया. तो किसी ने अपनी बीमारी और परेशानी से तंग आकर संत बनने का संकल्प ले लिया लेकिन संगम के रेतीले मैदान पर लगे ई रिक्शा वाले बाबा की कुछ अलग कहानी है.

ॐ तत्सस्त बाबा ने घर की तरह बनवाया ई रिक्शा
संगम की रेती पर लगे कुंभ की रेती पर बिछाए गए चकर प्लेट की सड़क पर गाड़ियों की बीच केसरिया कलर का ई रिक्शा भी चलता नजर आता है. ये ई रिक्शा ऐसा है कि यह सिर्फ प्रयागराज में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों से होते हुए बिहार तक जाता है. उसके बाद यह दिल्ली के भी रास्तों पर चलता नजर आ जाता है. ये ई रिक्शा आम ई रिक्शा की तरह ही है. लेकिन इसको मॉडिफाई बिल्कुल घर की तरह रहने के लिए किया गया है. जिसे महात्मा ॐ तत्सस्त बाबा ने अपने लिए बनवाया है.

दिल्ली से प्रयागराज पहुंचे हैं बाबा
इस ई रिक्शा में एक घर की तरह लाइट लगाई गई है. छोटा पंखा लगा है और लेटने के लिए बेड भी बनाया गया है. सबसे खास बात ये ई रिक्शा किसी बिजली से चार्ज नहीं होता बल्कि इसको चार्ज करने के लिए ई रिक्शा की छत पर सोलर लाइट लगाई गई है. जो ई-रिक्शा को चार्ज करने का काम करता है. यही नहीं इस ई रिक्शा को पूरे केसरिया रंग से रंगा गया है और दोनों तरफ लोहे का दरवाजा भी सुरक्षा की वजह से लगाया गया है. इस ई रिक्शा को महात्मा ॐ तत्सत बाबा दिल्ली से लेकर प्रयागराज संगम अपने संकल्प के साथ पहुंचे हैं और पूरे कुंभ मेले में रहकर भगवान की पूजा और अर्चना करेंगे.

महात्मा ॐ तत्सत
महात्मा ॐ तत्सत

30 साल पहले हो गया था कैंसर
महात्मा ॐ तत्सत महाराज के बाबा बनने के पीछे की कहानी है. बाबा बिहार के रहने वाले हैं. 12वीं पास कर ग्रेजुएशन किया उसके बाद मास्टर डिग्री ले रहे थे. यह बिहार के बरौनी के पास के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं. परिवार से काफी संपन्न भी थे क्योंकि इनके पास लंबा चौड़ा अपना खेती-बाड़ी था. इनके तीन बेटे और बेटियां थीं. लेकिन इस बीच उनके पेट में कैंसर हो गया. इन्होंने कई जगह दिखाई तो डॉक्टर ने जवाब दे दिया और कहा कि उनके बचने की उम्मीद नहीं है. परिवार ने भी उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी.

सपना आने के बाद छोड़ा घर
बाबा के मुताबिक उन्हें एक दिन भगवान शंकर का सपना आया कि उन्हें दैनिक जीवन छोड़ देना चाहिए फिर उन्होंने अपने परिवार से बात कर घर छोड़ दिया. यह समझकर की अब उनका जीवन ज्यादा दिन तक नहीं बचा है लेकिन बाबा को 30 साल पहले कैंसर हुआ था लेकिन आज भी वह जिंदा हैं. इसके पीछे बाबा भगवान की कृपा मानते हैं.

बिहार छोड़ने के बाद बाबा इधर-उधर घूमते रहे. उसके बाद इन्होंने राम राज्य के लिए संकल्प लिया और हर भगवान के चौखट पर दर्शन के लिए जाते हैं और लोगों को रामराज्य के बारे में जागरूक कर रहे हैं. बाबा का कहना है कि मैं संगम की धरती पर रहकर सभी को रामराज के लिए जागरूक करूंगा.

आपको बता दे बाबा को ये ई रिक्शा गिफ्ट के तौर पर मिला है. जिसे इन्होंने अपनी सुविधा के अनुसार मॉडिफाई करवा लिया है. आपको बता दें महात्मा ॐ तत्सस्त महाराज ने 30 साल पहले अपने दैनिक जीवन को त्याग दिया था और बाबा का रूप धारण कर लिया है. इन 30 सालों में सिर्फ दो बार बेहद जरूरी होने पर ही वह अपने घर वापस गए हैं.

-आनंद राज की रिपोर्ट