
दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक. आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महांकुभ.. संगम पर महाआयोजन के लिए तैयार है. 13 जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ के लिए शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों से जुड़े 13 अखाड़ों का आगमन हो चुका है. ज्यादातर अखाड़ों की तरफ से धर्मध्वजा की स्थापना भी पूरी हो चुकी है.
नागा साधु करते हैं पहला कुंभ स्नान
आस्था के इस सबसे बड़े मेले में आकर्षण के केंद्र में नागा संन्यासी ही होते हैं. जिनका आना शुरू हो गया है. नागा साधुओं के ही गंगा स्नान से महाकुंभ का शुभारंभ होता है. यानी सबसे पहले गंगा स्नान का विशेषाधिकार नागा साधुओं के पास ही है. साधु-संतों की अलग-अलग परंपराओं में नागा साधुओं की परंपराएं बेहद अनोखी है. अपनी विशेष वेशभूषा के लिए मशहूर नागा सन्यासियों की जीवनशैली बिल्कुल अलग होती है. वो वस्त्र, मोह-माया का त्याग कर तपस्वी जीवन जीते हैं.
अखाड़ों में अवहान, जूना, अटल, निरंजनी, महानिर्वानी में नागा संप्रदाय है. हालांकि भौतिक सुख-सुविधाओं से दूर रहने वाले ज्यादातर नागा साधु दशनामी अखाड़े से ही जुड़े होते हैं. हमेशा शिव भक्ति में लीन रहने वाले नागा साधु भगवान शिव की तरह भस्म, तिलक, रुद्राक्ष, त्रिशूल, तलवार, या गदा जैसे शस्त्रों का धारण करते हैं.
इस बार महिला नागा साधुओं का भी आगमन हुआ है. पुरुषों की तरह महिलाओं के लिए भी नागा साधु बनने के नियम और प्रक्रिया बेहद कठिन है. प्राचीन काल से धर्म, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए नागा साधु समर्पित रहे हैं. जो सांसारिक जीवन और उससे जुड़े सुखों का त्याग कर, जंगल, गुफा, और पर्वतों में निवास करते हैं.
अटल अखाड़े का शानदार छावनी प्रवेश
महाकुंभ में अखाड़ों को आन-बान और शान माना जाता है. अखाड़े भी छावनी प्रवेश के वक्त अपनी शान, भव्यता और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं. अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश से सनातन की अलौकिक छटा गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर देखने को मिली. रथ पर चांदी के बने हौदों पर बैठे महामंडलेश्वर, घोड़ों पर सवार साधु-संत और हाथों में अस्त्र-शस्त्र लहराते नागा साधुओं वाले अटल अखाड़े की शोभा यात्रा देखते ही बन रही थी.
महिलाओं को दिया गया गंगा आरती का जिम्मा
बात अगर महाकुंभ की तैयारियों की करें तो संगम नगरी में गंगा आरती को लेकर खास तैयारी की जा रही है. महाकुंभ के शुरु होने से पहले ही इसको भव्य बनाने की कोशिश चल रही है. महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी आरती बटुक बालक करेंगे तो गंगा आरती का जिम्मा महिलाओं को दिया गया है.
रेलवे की खास तैयारियां
रेलवे भी महाकुंभ को लेकर खास तैयारी कर रहा है. क्योंकि सबसे ज्यादा यात्री महाकुंभ मेले में भाग लेने के लिए रेलवे का इस्तेमाल ही करनेवाले हैं. ऐसे में रेलवे ने प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर कर्मचारियों की विशेष ड्यूटी लगाई गई है. इस दौरान वो हरे रंग की जैकेट पहनेंगे और इन जैकेटों के पीछे एक क्यूआर कोड अंकित होगा. जिसे श्रद्धालु अपने मोबाइल से स्कैन करके सीधे यूटीएस यानि अनारक्षित टिकटिंग सिस्टम मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकेंगे.
यह ऐप यात्रियों को बिना लाइन में लगे अनारक्षित टिकट बुक करने की सुविधा देता है. महाकुंभ के दौरान रेलवे स्टेशन पर भीड़ प्रबंधन और तीर्थयात्रियों को परेशानी मुक्त अनुभव के लिए रेलवे हर स्तर पर तैयारी कर रहा है. प्रयागराज स्टेशन पर स्लीपिंग पॉड्स भी बनाए गए हैं. जिसमें आपको एक घंटे के आराम के लिए 150 रूपए देने होंगे जबकि इसके चार्ज घंटे के हिसाब से तय होंगे. प्रयागराज स्टेशन पर कुल 70 पॉड हैं. जिनमें से 10 पिंक स्लीपिंग पॉड भी बनाए गए हैं.