
महाकुंभ को लेकर हर स्तर पर संगम नगरी में बड़ी तैयारी की गई है. संगम में डुबकी लगाने के दौरान अगर कोई हादसा होता है तो उसके लिए भी एनडीआरएफ ने तैयारी कर रखी है. किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एनडीआरएफ के जवानों को मुस्तैद किया गया है.
दरअसल, महाकुंभ में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंचने वाले हैं. इस दौरान कभी भी आपात स्थिति हो सकती है, जिससे निपटने के लिए एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम तत्पर है और जब कभी नदी में किसी के डूबने... या नाव पलटने जैसी स्थिति होती है. तो ये रेस्क्यू टीम बिना समय गंवाए बचाव के लिए पहुंच जाती है.
मॉक ड्रिल भी किया गया
महाकुंभ के आयोजन को देखते हुए अरैल घाट पर दरअसल एनडीआरएफ ने मॉक ड्रिल किया. इस मॉक ड्रिल के जरिए ये भरोसा देने की कोशिश हुई कि इस एजेंसी की टीम किसी भी आपात स्थिति से निपटने में सक्षम है. इस मॉकड्रिल के जरिए एनडीआरएफ महाकुंभ को लेकर अपनी तैयारियों को परखने में जुटी हुई है.नदी में स्पीड बोट के जरिए रेस्क्यू से लेकर किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए मुस्तैदी बरती जा रही है.
टीम में हैं स्पेशल गोताखोर से लेकर ट्रेंड तैराक तक
एनडीआरएफ की इस टीम में स्पेशल गोताखोर से लेकर ट्रेंड तैराक तक हैं.ऑक्सीजन सिलेंडर से लैस गोताखोरों के सिर पर अंडर वाटर कैमरा भी लगाया गया है, जिसके जरिए पानी के अंदर की चीजों को कैप्चर करना और उसे देखना संभव होता है. इसके अलावा इस रेस्क्यू टीम के पास अंडर वाटर टॉर्च भी मौजूद है, जिससे पानी के अंदर की चीजों को देख पाने में सहूलियत होती है.
सोनार सिस्टम को ऑपरेट करने की सुविधा
बोट पर सोनार सिस्टम को ऑपरेट करने की सुविधा भी है. इस सिस्टम के माध्यम से पानी के अंदर की चीजों का पता चलता है. इस सिस्टम से कोई भी ऑब्जेक्ट जब टकराता है तो उसकी इमेज लैपटॉप में आ जाती है और उस इमेज के आधार पर गोताखोर को पानी के अंदर भेजा जाता है और फिर रेस्क्यू किया जाता है.
हर तरह की परिस्थिति के लिए तैयार हैं
NDRF डीआईजी एम के शर्मा के मुताबिक, महाकुंभ को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं. किसी भी तरह की भगदड़, आग से जुड़ी घटना से लेकर केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर इमरजेंसी से निपटने की भी पूरी तैयारी है.
इसके अलावा, महाकुंभ को लेकर हर स्तर पर तैयारियों को लगातार परखा जा रहा है और ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी आपात स्थिति के दौरान उससे कैसे निपटना है ताकि साधु-संतों से लेकर श्रद्धालुओं तक को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े.