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करीब 150 साल बाद जुड़ा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में एक नया अध्याय! शिवरात्रि से पहले गर्भगृह भी हुआ स्वर्ण मंडित

अब से करीब डेढ़ महीना पहले दक्षिण भारत के श्रद्धालु बाबा ने गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने की इच्छा जताई थी. शिव भक्त की इस इच्छा पर मंदिर प्रशासन की मुहर लगने के बाद काम शुरू हुआ. आपको बता दें, पहले विशेषज्ञों की देखरेख में इसके लिए सांचा बनाया गया. इसके बाद नई दिल्ली की कंपनी ने कड़ी सुरक्षा के बीच ट्रक से सोना वाराणसी पहुंचाया. और उसके बाद गर्भगृह के अंदर की दीवारों को स्वर्णमंडित करने का काम शुरू किया गया.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
हाइलाइट्स
  • 2012 में बनाई गई थी योजना

  • करीब 150 साल बाद जुड़ा नया अध्याय

श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद अब मंदिर के गर्भगृह की भीतरी दीवारें भी स्वर्णमंडित हो गई हैं. अब तक शिखर और बाबा की जलहरी ही विशुद्ध सोने से दमक रही थी, लेकिन अब गर्भगृह भी चमक रहा है. रविवार आधी रात बाद मंगला आरती के समय सुनहरी पीली रोशनी से गर्भगृह की स्वर्णिम दमक ने भक्तों को भाव विभोर कर दिया.

इसमें करीब 30 घंटे का समय लगा. बता दें, जिस शिवभक्त की इच्छा पर गर्भगृह की भीतरी दीवारें स्वर्णमंडित की गई हैं, उन्होंने गुप्त दान किया है इसलिए उनके नाम का उल्लेख कहीं नहीं किया गया है. 

करीब 150 साल बाद जुड़ा नया अध्याय

अब गर्भगृह के चारों द्वार की चौखट से भी चांदी हटा कर उन्हें स्वर्णमंडित करने का काम चालू हो गया है.  करीब डेढ-पौने दो सौ साल बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में एक नया अध्याय जुड़ गया है. काशी के राजाधिराज बाबा विश्वनाथ जी के दरबार का ये कायाकल्प दक्षिण भारत के एक संत हृदय के दान से संभव हो पाया है. 

हल्दी के अभिषेक के साथ मैचिंग करता सुनहरा गर्भगृह
हल्दी के अभिषेक के साथ मैचिंग करता सुनहरा गर्भगृह

बताया जा रहा है कि इससे पहले पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने करीब पौने दो सौ साल पहले मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित करा कर शुद्ध सोने का कलश और ध्वजा लगवाई थी.

विशेषज्ञों की देखरेख में बनाया गया सांचा 

दरअसल, अब से करीब डेढ़ महीना पहले दक्षिण भारत के श्रद्धालु बाबा ने गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्णमंडित करने की इच्छा जताई थी. शिव भक्त की इस इच्छा पर मंदिर प्रशासन की मुहर लगने के बाद काम शुरू हुआ. आपको बता दें, पहले विशेषज्ञों की देखरेख में इसके लिए सांचा बनाया गया. इसके बाद नई दिल्ली की कंपनी ने कड़ी सुरक्षा के बीच ट्रक से सोना वाराणसी पहुंचाया. और उसके बाद गर्भगृह के अंदर की दीवारों को स्वर्णमंडित करने का काम शुरू किया गया.

2012 में बनाई गई थी योजना

भले ही स्वर्ण मंडित करने का काम 2022 में पूरा हुआ हो, लेकिन इसकी योजना साल  2012 में ही बनाई गई थी. हालांकि, तब आईआईटी बीएचयू के विशेषज्ञों ने बताया था कि गर्भगृह के दीवारों में इतना भार सहन करने की क्षमता नहीं है, लिहाजा ये योजना धरी की धरी रह गई. इसके बाद 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद गर्भगृह की दीवारों को मजबूती मिली तो इन दीवारों को स्वर्णमंडित करने का निर्णय लिया गया.

गर्भगृह
गर्भगृह

क्या है मंदिर का इतिहास?

काशी विश्वनाथ मंदिर के इस वर्तमान मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने 1780 ईसवी में कराया था. करीब 75 साल बाद 1853 में महाराजा रणजीत सिंह ने 22 मन शुद्ध सोने से पूरे शिखर को स्वर्ण मंडित कराकर स्वर्ण कलश स्थापित किया था. इसके करीब पौने दो सौ साल बाद अब महाशिवरात्रि से पूर्व ही बाबा दरबार को सोने से सजा दिया गया.

(संजय शर्मा की रिपोर्ट)