रुद्राभिषेक एक पवित्र हिंदू प्रथा है जिसमें हिंदू देवताओं में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक भगवान शिव की भक्ति शामिल है. "रुद्र" शब्द भगवान शिव के भयंकर रूप को दर्शाता है, जबकि "अभिषेक" का अर्थ है जल, पवित्र जल, दूध, शहद और अन्य प्रसाद से अभिषेक करना. वैदिक मंत्रों का पाठ करके भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है.
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का महत्व
इस अनुष्ठान को करने वाले व्यक्ति के साथ-साथ उसके परिवार के शारीरिक और आध्यात्मिक कल्याण दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा, इसमें सभी प्रकार के पापों और नकारात्मक कर्म प्रभावों को दूर करने और शांति, समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति जैसे आशीर्वाद प्रदान करने की शक्ति है.
रुद्राभिषेक के विभिन्न प्रकार और उनका महत्व?
पवित्र जल/जल अभिषेक: जल की धारा भगवान भोलेशंकर को अत्यंत प्रिय है. शुद्ध जल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर वर्षा होती है. इसके अलावा जल से अभिषेक करने से तेज बुखार भी शांत हो जाता है.
घी से रुद्राभिषेक: घी से रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ होता है. शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है.
पंचामृत से रुद्राभिषेक: मान्यता है कि मन में कोई मनोकामना सोच कर अगर आप भगवान शिव का पंचामृत से रुद्राभिषेक करेंगे तो वह आपको मिल जाएगी.
गन्ने के रस से रुद्राभिषेक: अगर आप लंबे समय से पैसों की समस्या से जूझ रहे हैं या कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं तो भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करें.
दही से रुद्राभिषेक: दही से रुद्राभिषेक भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. बहुत से लोग सोचते हैं कि दही से रुद्राभिषेक करने से मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं. साथ ही इस संस्कार से गृह क्लेश भी दूर हो जाते हैं.
शक्कर मिश्रित जल से रुद्राभिषेक: शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करना भी शिव को अत्यंत प्रिय है. पुत्र प्राप्ति की कामना हो तो शक्कर मिश्रित जल से शिवलिंग का अभिषेक करें.
अनार के रस से रुद्राभिषेक: अनार के रस से शिवलिंग का अभिषेक करना शुभ माना जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है.