
राजस्थान के कोटा में अगर कहीं स्वर्ग है तो वह चंबल नदी के किनारे स्थित गराड़िया महादेव मंदिर है. कोटा के मुख्य शहर से लगभग 30 किलोमीटर से अधिक दूर, डाबी रोड (NH 76) पर स्थित इस मंदिर की खूबसूरती देखने वाले को अवाक कर देती है. जब काले बादल आसमान में छाते हैं और बारिश होती है तो इस जगह का जादुई आकर्षण और भी बढ़ जाता है. इस क्षेत्र में मोर, बंदर और अन्य पक्षी मित्र रहते हैं.
समुद्र तल से लगभग 500 फीट की ऊंचाई पर एक घाटी है, जिसके बीच से चंबल नदी बहती है। घाटी के दोनों ओर विशाल चट्टानें हैं. गराड़िया महादेव मंदिर एक चट्टान पर स्थित है. यहां एक पुजारी संध्य समय तक मंदिर में रहते हैं और सभी अनुष्ठान करते हैं. आप वास्तव में यहां कुछ समय बैठकर एकांत के आनंद को महसूस कर सकते हैं. यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी, चंबल नदी कई जल प्रजातियों के निवास के लिए जानी जाती है.
महाशिवरात्रि पर होता है बड़ा आयोजन
महाशिवरात्रि पर गराड़िया महादेव मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं. हजारों भक्त महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के दर्शन करने गराड़िया महादेव मंदिर पहुंचते हैं. स्थानीय लोग भंडारे का भी आयोजन करते हैं. इस मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. यहां न केवल कोटा से बल्कि दिल्ली, यूपी और बिहार जैसे राज्यों समेत पूरे देश से भक्त यहां आते हैं और भगवान शिव के दर्शन पाते हैं. बताया जाता है कि 60 साल से ज्यादा समय से अखंड ज्योत गराड़िया महादेव मंदिर में चल रही है.
फोटोग्राफी के लिए मशहूर क्षेत्र
गरड़िया महादेव मंदिर के जंगलों में वन्यजीवों की भी भरमार है. यहां के जंगलों में भालू तेंदुए, नीलगाय, बंदर सहित अन्य जीव हैं. यहां तेदुओं की संख्या काफी ज्यादा है. वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर्स का यहां हर समय जमावड़ा रहता है. इसके अलावा, यहां सूर्यास्त का दृश्य भी काफी सुंदर होता है. चंबल नदी के इन लैंडस्केप को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश भर के पर्यटन स्थलों में से टूरिज्म का बेस्ट अवार्ड आइकॉनिक लैंडस्केप डेस्टिनेशन श्रेणी का भी पुरस्कार मिला हुआ है.
(चेतन की रिपोर्ट)