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Mahavir Jayanti 2023: क्या है महावीर जयंती पर्व का महत्व...भगवान महावीर के 12 अनमोल वचन जो सिखाते हैं जीवन का सार

भगवान महावीर का जन्म लगभग 600 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन हुआ था.उन्होंने अपने हर भक्त को अंहिसा, सत्य, अक्षत, ब्रह्मचार्य और स्वत्व-त्याग का पालन करने को कहा.चैत्र महीने के 13वें दिन अर्थात चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी तिथि पर महावीर जयंती मनाई जाती है.

भगवान महावीर भगवान महावीर

महावीर जयंती जैन धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है. जैन धर्म के लोग इस त्योहार को भगवान महावीर के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. इस दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मदिन होता है. भगवान महावीर को वर्धमान के नाम से भी जाना जाता है. इस त्योहार की उमंग और जोश देखते ही बनता है. महावीर जी को जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की स्थापना करने वाला बताया जाता है.

क्या है शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के 13वें दिन अर्थात चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी तिथि पर महावीर जयंती मनाई जाती है. इस साल यह तिथि 3 अप्रैल 2023 को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ होगी जोकि 4 अप्रैल 2023 को सुबह 8 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी. भगवान महावीर का जन्म लगभग 600 वर्ष पूर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन हुआ था.

कैसे करें पूजा?
सुबह भगवान महावीर की मूर्ति को स्नान कराया जाता है और फिर पालने पर बिठाकर जुलूस निकाला जाता है. आमतौर पर जुलूस एक मंदिर पर समाप्त होता है जहां लोग मूर्ति को फूल, चावल और मिठाई चढ़ाते हैं. इस दौरान भगवान महावीर के उपदेश पढ़े जाते हैं और लोग उनकी प्रार्थना करते हैं. यह दिन जैन समुदाय द्वारा मंदिर जाकर भगवान महावीर की मूर्ति की पूजा करके मनाया जाता है. इस दिन दान-पुण्य करने का भी बड़ा महत्व है. 72 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त करने वाले भगवान महावीर ने अहिंसा के महत्व और मानवता के प्रति प्रेम के साथ शांतिपूर्ण जीवन की वकालत की. उन्होंने 30 वर्ष की आयु में अपने सिंहासन की निंदा की और अपने शेष जीवन में तपस्वी के रूप में रहे.

भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए मनुष्यों के लिए पांच नियम स्थापित किए, जिन्हें हम पंच सिद्धांत के नाम से जानते हैं। ये पांच सिद्धांत हैं- अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, सत्य और अपरिग्रह. महावीर जी के अनमोल विचार लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं. आइए जानते हैं उनके कुछ विचार.

1. खुद पर विजय प्राप्त करो क्योंकि यह एक चीज लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है.
2. हर आत्मा अपने आप में आनंदमय और सर्वज्ञ है. आनंद हमारे अंदर ही है इसे बाहर ढूंढने की कोशिश न करें.
3. हर एक जीवित प्राणी के ऊपर दया करो. घृणा से केवल विनाश होता है.
4. ईश्वर का कोई अलग अस्तित्व नहीं है. बस सही दिशा में अपना पूरा प्रयास करके देवताओं को पा सकते हैं.
5. प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता.
6. सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है.
7. सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं.
8. स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयं पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी.