Makar Sankranti 2022 Date and Time: मकर संक्रांति हिंदू धर्म के प्रमुख पर्व में से एक है. देश के अलग-अलग इलाकों में इसे वहीं की मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है. हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022 Date) का पर्व मनाया जाता है.
मकर संक्रांति (makar sankranti) को देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसे आंध्र प्रदेश में पेड्डा पांडुगा के नाम से, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र में इसे मकर संक्रांति कहा जाता है, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ बिहू, मध्य और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में माघ मेला, पश्चिम में मकर संक्रांति, केरल में मगरा वलाकू के रूप में जाना जाता है.
साल में होती हैं 12 संक्रांतियां
दरअसल, ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं, लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा महत्व मकर संक्रांति (makar sankranti) का होता है. मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और फिर इसके साथ उत्तरायण शुरू हो जाता है. इसलिए हम इस दिन को उत्तरायण के नाम से भी जानते हैं. कहते हैं इस दिन के बाद से ही बड़े दिन और रातें छोटी होना शुरू हो जाती हैं.
मकर संक्रांति मुहूर्त
14 जनवरी यानि मकर संक्रांति (makar sankranti 2022 shubh muhurat) पर शुभ मुहर्त दोपहर 02:43 से शाम 05:45 तक रहेगा. इसकी अवधि 3 घंटे 2 मिनट होगी. वही, मकर संक्रांति महा पुण्य काल दोपहर 2:43 से रात 4:28 तक होगा. महा पुण्य काल की अवधि 1 घंटा 45 मिनट होगी.
क्या है मकर संक्रांति पर दान का महत्व?
ज्योतिष के अनुसार, इस दिन पर स्नान और दान का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति पर स्नान करने को काफी शुभ माना गया है. इसके साथ ही अगर इस दिन दान करते हैं, तो भक्तों की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस दिन पीले चावल या खिचड़ी का दान करने से पुण्य प्राप्त होता है.
क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति
हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है. कहते हैं इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. वहीं, शनि को मकर और कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है. ये पर्व पिता और पुत्र के मिलन से जुड़ा हुआ है. इससे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं. एक कथा के अनुसार, इस पर्व को भगवान विष्णु की असुरों पर विजय के तौर पर भी मनाया जाता है. कहते हैं, इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों पर विजय प्राप्त कर उनके सिरों को मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था.
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