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Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर क्यों करते हैं गंगा स्नान ? जानिए महत्व और कथा

मकर संक्रांति के दिन को स्नान, दान और ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन किसी भी नदी और समुद्र में स्नान कर दान-पुण्य करके प्राणी कष्टों से मुक्ति पा सकता है, लेकिन गंगासागर में किया गया स्नान कई गुना पुण्यकारी माना गया है.

Gangasagar (Photo Twitter) Gangasagar (Photo Twitter)
हाइलाइट्स
  • मकर संक्रांति पर्व इस वर्ष 15 जनवरी को मनाया जाएगा

  • गंगासागर में स्नान करने का है विशेष महत्व

मकर संक्रांति इस वर्ष 15 जनवरी को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी या गंगासागर में स्नान करने की परंपरा है. इस दिन किसी भी नदी और समुद्र में स्नान कर दान-पुण्य करके प्राणी कष्टों से मुक्ति पा सकता है लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करने से सात जन्मों के पाप धुल जाते हैं. अगर आप गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं तो घर में ही नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इस दिन पानी में काले तिल डालकर स्नान करने का भी महत्व है. इस दिन गंगा स्नान से जुड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण पौराणिक घटना है. मकर संक्रांति के दिन ही मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया था. 

पौराणिक कथा
शास्त्रों की मान्यता के अनुसार दैविक काल में कपिल मुनि गंगासागर के समीप आश्रम बनाकर तपस्या करते थे. उन दिनों राजा सगर की प्रसिद्धि तीनों लोकों में छाई हुई थी. सभी राजा सगर के परोपकार और पुण्य कर्मों की महिमा का गान करते थे. यह देख स्वर्ग के राजा इंद्र बेहद क्रोधित और चिंतित हो उठे. इसी दौरान राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया. इंद्र देव ने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चुराकर कपिल मुनि के आश्रम के पास बांध दिया.

श्राप से जलाकर भस्म कर दिया
अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा चोरी होने की सूचना पर राजा सगर ने अपने 60 हजार पुत्रों को उसकी खोज में लगा दिया. वे सभी पुत्र घोड़े को खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम तक पहुंच गए. वहां पर उन्होंने अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा देखा. इस पर उन लोगों ने कपिल मुनि पर घोड़ा चोरी करने का आरोप लगा दिया. इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के सभी 60 हजार पुत्रों को श्राप से जलाकर भस्म कर दिया.

क्षमा दान देने का निवेदन किया
राजा सगर भागते हुए कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और उनको पुत्रों को क्षमा दान देने का निवेदन किया. तब कपिल मुनि ने कहा कि सभी पुत्रों के मोक्ष के लिए एक ही मार्ग है, तुम मोक्षदायिनी गंगा को पृथ्वी पर लाओ. राजा सगर के पोते राजकुमार अंशुमान ने कपिल मुनि के सुझाव पर प्रण लिया कि जब तक मां गंगा को पृथ्वी पर नहीं लाते, तब तक उनके वंश का कोई राजा चैन से नहीं बैठेगा. वे तपस्या करने लगे. राजा अंशुमान की मृत्यु के बाद राजा भागीरथ ने कठिन तप से मां गंगा को प्रसन्न किया.

भगवान शिव को तप से प्रसन्न किया 
मां गंगा का वेग इतना था कि वे पृथ्वी पर उतरतीं तो सर्वनाश हो जाता. तब राजा भगीरथ ने भगवान शिव को अपने तप से प्रसन्न किया ताकि वे अपनी जटाओं से होकर मां गंगा को पृथ्वी पर उतरने दें, जिससे गंगा का वेग कम हो सके. भगवान शिव का आशीर्वाद पाकर राजा भगीरथ धन्य हुए. मां गंगा को अपनी जटाओं में रखकर भगवान शिव गंगाधर बने.

मां गंगा पृथ्वी पर उतरीं 
मां गंगा पृथ्वी पर उतरीं और आगे राजा भगीरथ और पीछे-पीछे मां गंगा पृथ्वी पर बहने लगी. राजा भगीरथ मां गंगा को लेकर कपिल मुनि के आश्रम तक लेकर आए, जहां पर मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया. जिस दिन मां गंगा ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष दिया, उस दिन मकर संक्रांति थी. वहां से मां गंगा आगे जाकर सागर में मिल गईं. जहां वे मिलती हैं, वह जगह गंगा सागर के नाम से प्रसिद्ध है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति को गंगासागर या गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पाप धुल जाता है.

10 अश्वमेध यज्ञ और एक हजार गाय दान करने का मिलता है फल
पश्चिम बंगाल में स्थित गंगासागर में मकर संक्रांति के दिन स्नान करने का विशेष महत्व है. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन गंगासागर में जो श्रद्धालु एक बार डुबकी लगाकर स्नान करता है उसे 10 अश्वमेध यज्ञ और एक हजार गाय दान करने का फल मिलता है. इन्हीं कारणों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान करने आते हैं.

मकर संक्रांति पर न करें ये काम
1. इस दिन भूलकर भी नहाने से पहले खाना नहीं चाहिए. सबसे पहले स्नान करें और फिर दान करें. इसके बाद भोजन करे.  
2. मकर संक्रांति के दिन तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए.  
3. मकर संक्रांति के दिन घर से किसी जरूरतमंद को खाली हाथ न लौटाएं. इस दिन दान अवश्य करें.