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Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर क्यों खाते हैं दही, चूड़ा और खिचड़ी ? जानें धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन लोग दान-पुण्य करते हैं. दही, चूड़ा व खिचड़ी खाते हैं और खिलाते हैं. आइये जानते हैं मकर संक्रांति पर दही, चूड़ा व खिचड़ी खाने का महत्व और लाभ.

मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा खाने का विशेष महत्व (फाइल फोटो) मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा खाने का विशेष महत्व (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • सूर्य देव जब पौष महीने में मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब संक्रांति मनाई जाती है

  • लोग दही-चूड़ा को दोस्तों और रिश्तेदारों के घर जाकर आदान-प्रदान करते हैं 

नया साल पधार चुका और अब लोग नए साल में होने वाले त्योहारों को लेकर उत्सुक हैं. मकर संक्रांति का पर्व इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगा.इसे देश के हर हिस्से में अलग-अलग तरीके से और अलग-अलग नाम के साथ मनाया जाता है. हिंदी पट्टी के राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखंड में इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. तमिलनाडु में इसे पोंगल उत्सव के रूप में मनाया जाता है. कर्नाटक व केरल में इसे केवल संक्रांति कहा जाता है. मकर संक्रांति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी बोलते हैं. उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी भी कहा जाता है. इस दिन दही-चूड़ा और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व होता है. इसके बिना त्योहार अधूरा लगता है. दही-चूड़ा का धार्मिक महत्व होने के साथ ही ये एक हेल्दी ब्रेकफास्ट भी है, जिसे आप अपने डेली रूटीन में भी खा सकते हैं. 

दही और चूड़ा का लगाया जाता है भोग
दही और चूड़ा के साथ तिलकुट को मकर संक्रांति पर बनाया जाता है. ताजा-ताजा धान कटाई के बाद किसान चावल को खाते हैं. इस दिन लोगों के द्वारा दान किया जाता है. इसके साथ ही भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाकर खाने की परंपरा है. उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में इस दिन दही-चूड़ा का भोग लगाया जाता है. साथ ही साथ ये रिश्तों की मजबूती के लिए माना जाता है. लोग दही-चूड़ा को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के घर जाकर आदान प्रदान भी करते हैं. इससे रिश्तों में गर्माहट बनी रहती है. मकर संक्रांति के दिन लोग सुबह और दिन के समय चूड़ा-दही, तिल के लड्डू, तिल की गजक और रात में खिचड़ी खाते हैं. बिहार और उत्तर प्रेदश में ये मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने से सौभाग्य आता है. इस शुभ दिन में सबसे पहले दही-चूड़ा का सेवन किया जाता है. साथ ही सफेद और काली तिल के लड्डू, तिल के गजक भी खाए जाते हैं

खिचड़ी का महत्व
विद्वानों के मुताबिक मकर संक्रांति पर जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से रहता है. जैसे खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से होता है. खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनिदेव, हल्दी का संबंध गुरु देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुध देव से माना गया है. इसके अलावा खिचड़ी में घी का संबंध सूर्य देव से होता है. इसलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने के साथ साथ किसी ब्राह्मण को दान भी जरूर करें.